उत्तराखंड: खेत में अधेड़ की गन्ने से पीट-पीट कर उतारा मौत के घाट, जानिए पूरा मामला

हरिद्वार-लक्सर मार्ग पर फेरुपुर पुलिस चौकी से कुछ दूरी पर खेत में अधेड़ की गन्ने से पीट-पीट कर हत्या की गई थी। पथरी पुलिस ने चौबीस घंटे के अंदर हत्याकांड का खुलासा करते हुए आरोपी राजमिस्त्री को गिरफ्तार किया है। मामूली बात को लेकर हुए विवाद में पेशे से दिहाड़ी मजदूर की हत्या की गई थी।

मंगलवार को जिला पुलिस मुख्यालय में एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने पत्रकारों को बताया कि सोमवार को धनपुरा- फेरुपुर के बीच एक गन्ने के खेत में अर्द्धनग्न अवस्था में एक अधेड़ का शव मिला था। पुलिस की पड़ताल में सामने आया था कि अधेड़ ज्वालापुर क्षेत्र के निवासी युसुफ के यहां लंबे समय तक काम कर चुका था।

पुलिस ने युसूफ से संपर्क साधा तब मृतक की पहचान महेंद्र 55 पुत्र प्रकाश सिंह उमर निवासी डांडीपुर थाना सहसपुर देहरादून के रूप में हुई। एसएसपी ने बताया कि महेंद्र के भाई पाल सिंह की शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस की पड़ताल में ऋतिक पुत्र अमर सिंह निवासी धनपुरा पथरी का नाम सामने आया।

उसे हिरासत में लेकर पूछताछ में सामने आया कि अधेड़ की मुलाकात उससे शराब के ठेके पर हुई थी। शराब के आदी महेंद्र ने चरस पीने वाले ऋतिक से बीड़ी पीने के लिए मांगी थी। चरस से भरी बीड़ी पीने के साथ वह पेशे से राजमिस्त्रत्त्ी ऋतिक के साथ चल दिया।

रास्ते में किसी बात को लेकर उनके बीच नोकझोंक हो गई। विवाद अधिक होने पर ऋतिक ने खेत से गन्ना तोड़कर उस पर हमला कर दिया। उसके बाद पीट-पीट कर उसकी हत्या कर आरोपी अपने घर पहुंच गया, जिसके बाद उसने अपने कपड़े भी धो दिए थे।

खुलासे के दौरान ये रहे मौजूद: मामले के खुलासे के दौरान एसओ पथरी थानाध्यक्ष रविंद्र कुमार, फेरूपुर चौकी प्रभारी नवीन चौहान, उपनिरीक्षक महेंद्र पुंडीर, उपनिरीक्षक विपिन कुमार, कांस्टेबल नारायण राणा, अनिल पंवार, जयपाल और मुकेश चौहान मौजूद रहे।

काश बुजुर्ग ने दिखाई होती हिम्मत

जब राजमिस्त्री अधेड़ की पिटाई कर रहा था तब वह एक बारगी उसके चंगुल से छूटकर भाग निकला था। मुख्य सड़क पर जब वह पहुंचा तब पास में ही क्रेन की मरम्मत कर रहे एक बुजुर्ग ने उससे बात करनी चाही लेकिन इसी बीच फिर से पीछे से आ धमका राजमिस्त्रत्त्ी उसे खींचकर गन्ने के खेत में ले गया। पुलिस की तफ्तीश में यह खुलासा हुआ है। अगर बुजुर्ग ने तब हिम्मत दिखाई होती तो शायद अधेड़की जान बच जाती।

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