दो साल बाद भी नहीं हुआ आपदा पीड़ितों का विस्थापन, प्रशासन ने वादा नहीं किया पूरा

विकास खंड चंपावत के अंतर्गत ग्राम पंचायत सियाला के आपदा प्रभावित चार परिवारों का विस्थापन दो साल बीतने के बाद भी नहीं हो पाया है। परिवार के मुखिया गुजरात में होटलों में काम करते हैं, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य गांव के ही खाली पड़े मकानों में जिंदगी गुजार रहे हैं।

प्रशासन ने इस परिवारों को विस्थापित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी इनका विस्थापन नहीं हो पाया है। 21 जुलाई 2021 को अतिवृष्टि के कारण ग्राम पंचायत सियाला, श्यामलाताल के बांजा तोक में जबर्दस्त भूस्खलन हुआ था। जिससे जगत सिंह भंडारी, पुत्र स्व. दीवान सिंह, देव सिंह भंडारी पुत्र स्व. मदन सिंह, विशन सिंह भंडारी पुत्र स्व. मदन सिंह, नवीन सिंह भंडारी पुत्र स्व. मदन सिंह के आवासीय मकान भूस्खलन की जद में आ गए थे।

प्रशासन ने दिया था आश्वासन

खतरे को देखते हुए प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को उनके पैतृक मकानों से हटाकर सियाला गांव में ही खाली पड़े मकानों में ठहरा दिया। साथ ही उनके नए मकान बनाने का आश्वासन दिया था। कुछ समय बाद बाद ही मकान स्वामियों ने इनसे किराया मांगना शुरू कर दिया। सिलाया के ग्राम प्रधान जगदीश प्रसाद ने बताया कि प्रशासन ने अब तक प्रत्येक परिवार को महज आठ-आठ हजार रुपया किराए के रूप में दिया है।

जेब से देना पड़ रहा है किराया

पीड़ितों का कहना है कि अब किराया उन्हें अपनी जेब से देना पड़ रहा है। ग्राम प्रधान ने बताया कि मजबूरन दूसरे के यहां शरण लिए ये परिवार पशुपालन भी नहीं कर पा रहे हैं। इससे इनका स्वरोजगार का धंधा भी चौपट हो गया है। ग्राम प्रधान ने बताया कि कई बार शासन एवं प्रशासन से इनके विस्थापन की मांग कर चुके हैं, लेकिन इस दिशा में ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है।

जमीन चिन्हित करने के बाद भी नहीं हुआ विस्थापन

ग्राम प्रधान जगदीश प्रसाद ने बताया कि तहसील प्रशासन ने ग्राम पंचायत सियाला के राजस्व गांव कांडा में चार परिवारों को विस्थापित करने के लिए जमीन भी तलाश ली थी। भू वैज्ञानिकों की टीम ने चयनित स्थल को उपयुक्त पाया था। उसके बाद भी इनका विस्थापन नहीं हो पाया है। अब तहसील प्रशासन ने पीड़ितों की ओर पीठ फेर ली है।

क्या बोले आपदा पीड़ित

दो साल से विस्थापन की उम्मीद में बैठे हैं। आपदा के बाद प्रशासन ने उन्हें दूसरे के घरों में ठहरा तो दिया, लेकिन अब सुध नहीं ली जा रही है। किराए के नाम पर दो साल में सिर्फ हर परिवार को आठ हजार रुपये दिए गए हैं। आपदा पीड़ित स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। – जगत सिंह भंडारी

विस्थापन नहीं होने से उनके और उनके बच्चों के सामने कई मुश्किलें पैदा हो गई हैं। बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। महिलाएं अवसाद में हैं। मकान स्वामी लगातार किराए की मांग कर रहे हैं। किराये के मकानों में रहने से वे पशुपालन भी नहीं कर पा रहे हैं। – देव सिंह भंडारी

विस्थापन की पीड़ा क्या होती है यह हमसे बेहतर कोई नहीं जानता। दो साल से दूसरों के मकानों में रह रहे हैं। समय पर किराया नहीं दे पाए तो ताने सुनने पड़ रहे हैं। खेती बाड़ी भी चौपट हो गई है। विस्थापन होने के बाद ही इस समस्या का स्थाई समाधान होगा। – विशन सिंह भंडारी

ग्राम प्रधान द्वारा लगातार पीड़ितों के विस्थापन की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। न तो प्रशासन के अधिकारी और न ही जनप्रतिनिधि पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए हैं। मजबूर होकर हमें भूख हड़ताल करनी पड़ेगी। -नवीन सिंह भंडारी

अधिकारी ने कही ये बात

सियाला ग्राम पंचायत के चार परिवारों के विस्थापन की कार्यवाही चल रही है। कांडा गांव में जो जमीन विस्थापन के लिए चयनित की गई है वह सरकारी है। जमीन को इन परिवारों के हस्तांतरित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जमीन हस्तांतरित होते ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। -जगदीश गिरी, तहसीलदार, टनकपुर

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