धनतेरस पर भूलकर भी ना करे ये गलती, होता है बेहद अशुभ

इस बार दिवाली से पहले मतलब धनतेरस पर पुष्य नक्षत्र का योग बनने जा रहा है. दरअसल, दिवाली 12 नवंबर की है तथा धनतेरस 10 नवंबर की है. पुष्य नक्षत्र प्रातः 07 बजकर 57 मिनट से है तथा यह प्रातः 10 बजकर 29 मिनट तक है. साथ ही शनि पुष्य योग धनतेरस वाले दिन प्रातः 7:57 मिनट से लेकर रात तक है. रवि पुष्य योग प्रातः 10:29 मिनट से लेकर पूरे दिन रहेगा. साथ ही अष्ट महायोग में हर्ष, सरल, शंख, लक्ष्मी, शश, साध्य, मित्र और गजकेसरी भी बनेंगे जो बेहद शुभ माने जा रहे हैं. वही धनतेरस के दिन खरीदारी का भी बेहद ज्यादा महत्व माना जाता है. 

वही धनतेरस के दिन सोना-चांदी, धनिया, झाड़ू और नई वस्तुएं खरीदने का महत्व बताया गया है. कहते हैं कि इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से माता लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी तथा धन कुबेर प्रसन्न होते हैं. धनतेरस पर बहुत से लोग बर्तनों की भी खरीदारी करते हैं. धनतेरस पर खरीदे गए बर्तनों को अमृत कलश के समान माना जाता है. इसलिए इन बर्तनों को घर में खाली लेकर नहीं आना चाहिए. आइए आपको बताते हैं कि धनतेरस पर खरीदे बर्तनों में आप कौन सी शुभ चीजें डालकर ला सकते हैं.

जल- 

धनतेरस के दिन यदि आप कोई बर्तन खरीद रहे हैं तो उसमें जल भरकर घर ला सकते हैं. हिन्दू धर्म में जल का खास महत्व बताया गया है. जल सृष्टि के पचंतत्वों में से एक है और इसे देवता के रूप में स्वीकार किया गया है. आप बर्तन में जल भरने के पश्चात् उसमें थोड़ा सा गंगाजल भी मिला सकते हैं. इसके अतिरिक्त, धनतेरस पर खरीदे गए बर्तनों में आप शहद या दूध भरकर भी ला सकते हैं.

चावल- 

मंदिरों में पूजा हो या कोई धार्मिक अनुष्ठान, चावल के बिना कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जा सकता है. हिन्दू धर्म में इसे अक्षत कहा जाता है. अक्षत देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है. इसका इस्तेमाल देवी-देवताओं को चढ़ने वाली खीर और मिठाई में भी होता है.

7 तरह के अनाज- 

धनतेरस के बर्तन में अगर आप 7 तरह के अनाज लेकर आएं तो ये और भी शुभ होगा. इस बर्तन में आप जौ, सफेद तिल, धान, गेहूं, काला चना, मूंग या मसूर दाल भी लेकर आ सकते हैं. ये अनाज देवी-देवताओं को भी चढ़ाए जाते हैं तथा इनके इस्तेमाल से बना प्रसाद भक्तों में भी वितरित किया जाता है.

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