मराठा आरक्षण का मसला मोदी सरकार को भी होगी चिंता, बैठक में उठी दखल की मांग
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर उग्र आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में चल रहा है, जिसका समाधान तलाशने के लिए बुधवार को मुंबई में सर्वदलीय मीटिंग हुई। इस मीटिंग में विपक्षी दलों के ज्यादातर नेताओं ने कहा कि आरक्षण के मामले में केंद्र की मोदी सरकार को दखल देना चाहिए। कई नेताओं ने सीएम एकनाथ शिंदे की ओर इशारा करते हुए पूछा कि क्या आपने इसमें केंद्र सरकार से मदद मांगी है। वहीं राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सर्राफ ने कहा कि मराठा आरक्षण पर विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाने से कोई समाधान नहीं निकलेगा। बीते दो दिनों से राज्य में मराठा आरक्षण के लिए चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया है। बीड़ में तो कर्फ्यू तक लगाना पड़ गया था।
मीटिंग में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि राज्य सरकार अब तक मराठा आरक्षण की मांग को पूरा करने की दिशा में क्या कदम उठा चुकी है। इस दौरान निर्दलीय विधायक बच्चू काडू ने मांग की कि मराठा समुदाय के लोगों को तत्काल कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दिया जाए, जिससे उन्हें ओबीसी आरक्षण मिल सके। इसके अलावा कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने मांग की कि केंद्र सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए ताकि मराठा आरक्षण को कानूनी मंजूरी के साथ लाया जा सके। विपक्षी नेता विजय वदेत्तिवार ने भी ऐसी ही मांग दोहराई।
उन्होंने मीटिंग में पूछा कि क्या राज्य सरकार ने इस मसले पर केंद्र सरकार से कोई मदद मांगी है? उन्होंने राज्य में बिगड़ रही कानून व्यवस्था पर भी चिंता जताई। विधान परिषद में नेता विपक्ष अंबादास दानवे ने भी मांग की कि इस मसले को जल्दी हल किया जाए वरना राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाएगी। वहीं एकनाथ शिंदे ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हम तो प्रयास कर ही रहे हैं। लेकिन आंदोलनकारियों को भी धैर्य रखना चाहिए। सरकार को कुछ वक्त देना चाहिए ताकि मजबूती से कदम बढ़ाए जा सकें।
वक्त क्यों चाहते हैं एकनाथ शिंदे, स्पेशल सेशन पर क्या होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मराठा आरक्षण के पक्ष में हैं। लेकिन हम इस पर किसी ऐलान से पहले सभी कानूनी पहलुओं पर भी विचार कर रहे हैं ताकि यह खारिज न हो। उन्होंने कहा कि हमने एक पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल कर दी है, जिस पर जल्दी ही सुनवाई होगी। हालांकि सबकी नजरें इसी बात पर हैं कि मराठा आंदोलन को लेकर विशेष सत्र बुलाया जाएगा या नहीं। चर्चाएं हैं कि सरकार स्पेशल सेशन बुलाकर अध्यादेश को मंजूरी दिला सकती है। हालांकि जानकारों का कहना है कि अध्यादेश से बेहतर होगा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पैरवी करे। इसके अलावा केंद्र सरकार से मदद मांगे ताकि जरूरी होने पर संविधान संशोधन भी हो।