दुबला-पतला शरीर और मराठा आरक्षण आंदोलन का दमदार चेहरा, जानिए कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल
मुंबई, मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर महाराष्ट्र जबरदस्त हिंसा की आग में झुलस रहा है। मराठा आंदोलन हिंसात्मक होने के साथ-साथ जानलेवा भी होता जा रहा है। तनावग्रस्त क्षेत्र बीड में मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व समुदाय के नेता और समाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल कर रहे हैं। कार्यकर्ता जरांगे मराठा आरक्षण के लिए अनशन कर रहे हैं।
उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को बुधवार तक अपनी मांगें पूरी न होने पर आंदोलन तेज करने की धमकी दी है। कुछ समय पहले जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए 40 दिनों का समय दिया था, लेकिन जब सरकार द्वारा मराठा आरक्षम मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया तो वे अनशन पर बैठ गए।
आखिर कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल?
– मनोज जरांगे पाटिल 41 वर्षीय किसान हैं। वे महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले हैं। बीते शनिवार को जरांगे की मराठा रैली में लाखों लोग शामिल हुए थे। जिसके बाद से वो अपने समुदाय के लिए एक ताकत बन गए हैं।
– मराठा समुदाय द्वारा अगस्त 2016 में आरक्षण के लिए आंदोलन शुरु किया गया था। उस समय आंदोलन के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं था। 2016 के आंदोलन में जरांगे शामिल थे। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर भूख-हड़ताल और पैदल मार्च किया था। लेकिन वह मीडिया या सरकार का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाए।
– जरांगे ने कक्षा 12वीं तक पढ़ाई की है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपने उद्देश्य को लेकर काफी भावुक हैं। जरांगे विरोध प्रदर्शन करने के लिए लोगों से पैसे जुटाते हैं। वह अपनी चार एकड़ जमीन का आधा हिस्सा लेते हैं।
– जरांगे के परिवार में उनकी पत्नी, चार बच्चे, उनके तीन भाई और माता-पिता हैं। जारंगे का दावा है कि उनका विरोध प्रदर्शन गैर-राजनीतिक है। लेकिन वह 2004 में पद छोड़ने से पहले तक कांग्रेस के जिला युवा अध्यक्ष के रूप में जुड़े थे। दुबले पतले शरीर वाले 41 वर्षीय समाजिक कार्यकर्ता अबतक 35 आंदोलन कर चुके हैं।
– जरांगे की मांग है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्रों में आरक्षण मिलना चाहिए। मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण मांग को अस्थिर बताकर रद्द कर दिया था। जिसके बाद यह आंदोलन खत्म हो गया था। लेकिन इस साल 1 सितंबर को आंदोलनकर्ताओं को पुलिस लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा। इसने सुस्त पड़े आंदोलन में एक नई जान फूंक दी।
जरांगे पाटिल ने दी धमकी
मंगलवार दोपहर को मंत्रिमंडल की बैठक मराठा आरक्षण के विषय पर ही केंद्रित रही। लेकिन, इस मुद्दे पर तुरंत विधानमंडल का सत्र बुलाने की जरांगे पाटिल की मांग नहीं मानी गई। इसके बाद शाम को कुछ समाचार चैनलों से बात करते हुए जरांगे पाटिल ने धमकी दी है कि यदि बुधवार तक सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो गुरुवार से वह जल का भी त्याग कर देंगे।
पाटिल ने कहा है कि हम मुख्यमंत्री को सीधे बताना चाहते हैं कि अभी हम शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन, यदि हमें तकलीफ देने की कोशिश की गई् तो हम जैसे को तैसा उत्तर देने को तैयार हैं।सोमवार को मराठा आंदोलनकारियों ने तीन विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की थी और दो विधायकों के घरों में आग लगा दी थी।
मराठाओं के सामने क्यों कमजोर पड़ रही सरकार?
बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में मराठाओं का काफी वर्चस्व है। राज्य में समुदाय की आबादी 30 प्रतिशत से ज्यादा है। इससे पहले 2018 में भी मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था। जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने विधानसभा में बिल पास किया था। इसके तहत राज्य की सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्रों में मराठाओं को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था।