उत्तराखंड: हल्द्वानी में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के सामने पुलिस ने की छात्रों की जमकर पिटाई

हल्द्वानी शहर में पुलिस की वर्दी में दबंगई फिर देखने को मिली है। एमबीपीजी कॉलेज के मैदान में चल रहे छात्र महासंघ के वार्षिकोत्सव में सीओ समेत करीब छह पुलिसकर्मियों ने कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के सामने ही छात्रों को कॉलर पकड़कर घसीटा। विरोध करने पर एक पूर्व छात्रनेता को जमीन पर गिराकर लाठियां तक बरसाईं।

छात्रनेता को गिरेबान पकड़कर उसे जबरन पुलिस की गाड़ी ऐसे ठूंसा गया जैसे कोई हिस्ट्रीशीटर हो। जिस समय वर्दी की आड़ में पुलिस कर्मी कानून का मखौल उड़ा रहे थे, उनके अधिकारी एसपी सिटी हरबंश सिंह मंच से नशे को लेकर भाषण दे रहे थे। एमबीपीजी कॉलेज के मैदान में कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र महासंघ की ओर से मंगलवार को वार्षिकोत्सव आयोजित किया गया था।

दोपहर 12 बजे बाद कॉलेज परिसर में एमबीपीजी समेत कई अन्य कॉलेजों के छात्र और छात्रनेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। मुख्य अतिथि मंत्री रेखा आर्या, विधायक राम सिंह कैड़ा, विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला, एसपी सिटी हरबंश सिंह समेत कई लोग मंच पर बैठे थे।

नशे को लेकर एसपी सिटी का संबोधन शुरू हुआ ही था कि एक छात्र नेता और उनके कुछ साथी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मंच की तरफ बढ़े। इसी बीच सीओ भूपेंद्र धौनी दौड़ते हुए आए और उन्हें आगे जाने से रोक दिया। छात्रों को लेकर जैसे ही सीओ जैसे पीछे मुड़े एक युवक ने नारे लगाते हुए पंपलेट हवा में उछाल दिए।

इससे सीओ धौनी भड़क गए और उन्होंने युवक को चेतावनी देने तक की जरूरत नहीं समझी और उसका कॉलर पकड़कर सरेआम घसीट लिया। थोड़ी ही दूरी पर खड़े छात्रसंघ के एक पूर्व पदाधिकारी करन अरोड़ा ने इसका विरोध किया तो सीओ धौनी ने उसी का गिरेबान पकड़कर घसीट लिया।

इसके बाद पीछे से दौड़कर आए एसआई ने जमीन पर गिरे करन अरोड़ा पर लाठियां भांजनीं शुरू कर दीं। एसआई के सीने पर सुशील जोशी नेम प्लेट लगी थी। अपने बचाव में जब तक छात्र नेता कुछ कह पाते तब तक उन्हें दोबारा कॉलर पकड़कर सीओ ने जबरन पुलिस की गाड़ी में बिठा लिया। ये मामला जब चल रहा था हिन्दुस्तान संवाददाता भी मौके पर ही मौजूद थे।  

छात्रनेता करन को काफी देर तक कोतवाली में बिठाए रखा। इसकी भनक लगते ही छात्रसंघ अध्यक्ष रश्मि लमगड़िया समेत कई छात्रनेता समर्थक कोतवाली पहुंच गए। जहां पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए धरना दिया गया। बाद में मौके पर पहुंचे बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष एडवोकेट गोविंद बिष्ट ने दोनों पक्षों में सुलह समझौता कराया। 

कुछ लड़के अराजकता का माहौल बना रहे थे। समझाने पर नहीं समझे तो शांति व्यवस्था बनाए रखने को एक युवक को पकड़कर कोतवाली लाया गया। कॉलेज में कार्यक्रम चल रहा था,  व्यवधान न हो। यहां पर उसे समझाकर छोड़ दिया। आगे भी अगर कोई कार्यक्रम में किसी भी तरह की कोई अराजकता करता पाया गया तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

सत्ता से जुड़े छात्रों के सामने पुलिस की बोलती बंद

पीड़ित छात्रों ने पुलिस पर पक्षपात के आरोप लगाए हैं। छात्रों का कहना है सत्ताधारी दल से जुड़े छात्र मंच के सामने चुनाव प्रचार करते रहे लेकिन पुलिस कर्मियों की जुबान नहीं खुली। कार्यक्रम देख रहे छात्र-छात्राओं पर चुनावी पर्चे तक मंत्री के सामने उछाले गए इसके बावजूद सामान्य छात्रों पर लाठी भांजने वाली पुलिस चुप रही। 

टारगेट तो नहीं बन रहे दूसरे दलों के छात्रनेता 

छात्रनेताओं को कॉलर पकड़कर घसीटते समय पुलिसकर्मी उनसे कहते सुनाई दिए कि ‘तू तो यहां का छात्र है ही नहीं, कैसे आ गया’। सैकड़ों छात्रों की भीड़ में इस तरह के कई लोग थे जो कॉलेज में नहीं पढ़ते हैं। ऐसे में कैसे सीओ और उनकी टीम ने बिना आईडी देखे निर्दलीय दावेदार के समर्थक छात्रनेता को बाहरी घोषित कर दिया। 

हमारे समय में पूछकर आती थी पुलिस: प्रताप

कार्यक्रम के अंत में भाजपा नैनीताल के जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट ने अपने कॉलेज के दिनों की यादें साझा कीं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब वे इस कॉलेज में छात्र राजनीति में थे तो पुलिस प्रशासन बिना पूछे न तो अंदर आता था और न ही बाहर जाता था। ये कहकर कहीं न कहीं उन्होंने भी कॉलेज में पुलिस की हर समय मौजूदगी पर सवाल उठाए। 

पुलिस की वर्दी फाड़ी तो कैसे छोड़ दिया 

कोतवाली में बिठाए गए छात्रनेता करन अरोड़ा पर कोतवाली पुलिस ने एक पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ने का आरोप तक लगा दिया। जबकि, मौके पर मौजूद छात्र-छात्राओं का साफ कहना था कि पुलिसकर्मी ही दोनों छात्रनेताओं को इधर-उधर खींचते दिखे। अब सवाल ये उठता है कि यदि कोई छात्रनेता पुलिस की वर्दी फाड़ता है तो पुलिस कैसे उसके साथ समझौता कर सकती है। 

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