यूपी पुलिस के दो इंस्‍पेक्‍टरों को गिरफ्तार करने का आदेश, कोर्ट ने गैर जमानती वारंट किया जारी  

अदालत ने वर्षों बीत जाने के बाद भी गवाही के लिए नहीं आने पर आगरा और फतेहगढ़ में तैनात इंस्पेक्टरों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने को कहा है। शुक्रवार को आगरा पुलिस कमिश्नर और फतेहगढ़ एसएसी को पत्र लिखते हुए गैर जमानती वारंट तामील कराने के आदेश दिए गए हैं। 2013 में हुए दो अलग-अलग हत्याकांडों में दोनों गवाह हैं।

एडिशनल डीजीसी रामकुमार ने बताया कि वर्ष 2013 में एक हत्या हुई थी। उस समय अलीगढ़ के क्वार्सी थाने में तैनात नीरज शर्मा मुकदमे के विवेचक थे। वर्तमान में वह आगरा के थाना एत्माद्दौला में तैनात हैं। अदालत द्वारा कई बार नोटिस, वारंट जारी किए गए। फिर भी वह गवाही के लिए नहीं आए। इस प्रकरण को 10 वर्ष बीत चुके हैं। जो घोर आपत्तिजनक हैं। अब हाईकोर्ट ने पत्रावली को जल्द से जल्द निस्तारण करने के आदेश दिए हैं। जिसरे चलते एडीजे (9) की अदालत ने आगरा पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा है कि विवेचक नीरज के विरुद्ध सक्षम अधिकारियों की टीम गठित की जाए गैर जमानती वारंट तामील करा सात अक्टूबर को गिरफ्तार कर लाया जाए।

दूसरा प्रकरण जवां थाना में दर्ज गैर इरादतन हत्या से जुड़ा हुआ है एडीजे (9) सुनील सिंह की अदालत ने फतेहगढ़ में तैनात इंस्पेक्टर विनोद कुमार शुक्ला को गिरफ्तार कर लाने के आदेश दिए हैं। एडिशनल डीजीसी रामकुमार ने बताया कि वर्ष 2013 में तत्कालीन इंस्पेक्टर विनोद कुमार शुक्ला जवां थाने में तैनात थे, जो वर्तमान में फतेहगढ़ के थाना कादरी गेट में तैनात हैं।

वारंट के बावजूद हाजिर न होने पर अदालत ने फतेहगढ़ के एसएसपी को पत्र लिखा है। कहा है कि विनोद के विरुद्ध सक्षम अधिकारियों की टीम गठित की जाए और गैर जमानती वारंट तामील कराकर 12 अक्टूबर को गिरफ्तार करके अदालत में लाया जाए।

16 साल पुराने मामले में 72 साल की महिला को सजा

16 साल पुराने मारपीट व हमले के मुकदमे में अदालत ने शुक्रवार को 72 साल की महिला समेत सात सजा सुनाए जाने के साथ ही जुर्माना भी लगाया। एडीजीसी कृष्ण मुरारी जौहरी ने बताया कि कोतवाली नगर क्षेत्र के सराय काबा निवासी बाबूलाल ने पांच जुलाई 2007 को मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि उसके पड़ोसी गिरधारीलाल ने मकान खाली करने की बात कही थी। ऐतराज करने पर गिरधारीलाल अपने बेटों के साथ घर से बंदूक लेकर आया। सभी लोगों ने मारपीट कर दी। 

इसी बीच गिरधारी ने बंदूक से बाबूलाल के बेटे देवेंद्र पर गोली चला दी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। पुलिस ने गिरधारीलाल, कंछी कुमार, भूरा व रवि कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र दाखिल किया था। एडीजे सात ज्ञानेंद्र सिंह की अदालत ने चारों को दोषी करार देते हुए 10-10 साल कारावास की सजा व 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

दूसरे पक्ष की उमा आर्या ने तहरीर देकर कहा था कि पांच जुलाई 2007 को वह अपने बच्चों के साथ खाना बना रही थीं। तभी बाबूलाल, देवेंद्र, हरभेजी, भूदेव, वीरपाल व अन्य लोग आए और घरेलू सामान में तोड़फोड़ की। मारपीट में उनके बच्चे व सास को चोटें आईं। बाबूलाल व भूदेव ने फायरिंग की, जिसमें वह बाल-बाल बच गईं। बाबूलाल व देवेंद्र की मौत हो चुकी है। अदालत ने भूदेव, वीरपाल व 72 वर्षीय हरभेजी को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल कारावास व 11-11 हजार रुपये के जुर्माना लगाया है।

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