ऋषि पंचमी पर इन मंत्रों और कथा के साथ पूरी करें पूजा

सनातन धर्म में ऋषि पंचमी व्रत का खास महत्व है. ऋषि पंचमी व्रत व्यक्ति को पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता हैं. ऋषि पंचमी व्रत मुख्य तौर पर महिलाएं रखती है. भारत में कई स्थानों पर ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत में सप्तम ऋषियों की पूजा भी की जाती है. यह गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन पड़ता है. इस साल ऋषि पंचमी आज 20 सितंबर 2023 को है. ऋषि पंचमी को गुरु पंचमी, भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ऋषि पंचमी पर उपवास रखने से पापों से मुक्ति एवं ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऋषि पंचमी व्रत में सप्तऋषि की विधि विधान से पूजा की जाती है। आइये आपको बताते है सप्तऋषि पूजा के लिए महत्वपूर्ण मंत्र और व्रत की कथा…

ऋषि पंचमी की पूजा के लिए मंत्र:-

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।

ऋषि पंचमी व्रत कथा:-

भविष्यपुराण की कथा के मुताबिक, विदर्भ देश में एक उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पति व्रता पत्नी सुशीला के साथ रहता था। उत्तक के परिवार में एक पुत्र और पुत्री भी थे। विवाह योग्य होने पर ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह सुयोग्य वर के साथ कर दिया लेकिन कुछ दिनों पश्चात् उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई और उत्तक की पुत्री वापस अपने मायके लौट आई। एक दिन विधवा पुत्री अकेले सो रही थी तभी उसकी मां देखती है कि पुत्री के शरीर में कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं। अपनी कन्या की यह दशा देखकर सुशीला व्यथित हो गई। वह अपने पति के पास पुत्री को लेकर गई और बोली कि हे प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति कैसे हुई? उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के पश्चात् पूर्वजन्म के बारे में देखा कि उनकी पुत्री पहले भी ब्राह्मण की बेटी थी किन्तु राजस्वला के चलते ब्राह्मण की पुत्री ने पूजा के बर्तन छू लिए तथा इस पाप से मुक्ति के लिए ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया। जिसके कारण इस जन्म में कीड़े पड़े। फिर पिता के कहे मुताबिक, विधवा पुत्री ने इन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए पंचमी का व्रत किया तथा उसे इससे उसे अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई।

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