SC का आदेश किया जारी, कहा- किसी भी समुदाय के खिलाफ ना हो भड़काऊ भाषण

मेवात में हिंसा के बाद दिल्ली में हो रहे प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। अदालत में अर्जी दायर कर कहा गया था कि दिल्ली में नूंह हिंसा के बाद हो रहे प्रदर्शन और रैली पर रोक लगाई जाए। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इस प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण ना दिया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि धारा-144 समेत अन्य उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और हरियाणा सरकार को नोटिस भी भेजा है। अदालत ने कहा है कि संवेदनशील जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और वीडियोग्राफी कराई जाए। इस मामले पर सुनवाई के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली में प्रदर्शन और रैली पर रोक नहीं लगाई। अदालत ने कहा कि रैली, प्रदर्शन के दौरान किसी भी समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण ना दिया जाए। अदालत ने कहा है कि यह आदेश सभी राज्यों पर लागू होगा। 

अदालत में याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील सी. यू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली में 23 स्थानों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। इसपर अदालत ने कहा है कि हेट स्पीच नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भाटी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की है। अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान रैली, प्रदर्शन पर तो रोक नहीं लगाई लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए। इस मामले में अब अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी। 

देश की सबसे बड़ी अदालत में जो याचिका लगाई गई थी उसमें यह भी कहा गया था कि वीएचपी और बजरंग दल के विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाई जाए क्योंकि इससे तनाव और भी ज्यादा बढ़ सकता है और माहौल बिगड़ सकता है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश दिेये हैं। अदालत ने कहा है कि कानून व्यवस्था को सुनिश्चित करना पुलिस का काम है। अदालत ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जानमाल का नुकसान ना हो। 

अदालत में तुरंत सुनवाई को लेकर शाहीन अबदुल्ला ने यह याचिका अदालत में लगाई थी। इस याचिका में देश के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष यह गुहार लगाई गई थी कि देश भर में हेट स्पीच पर रोक लगे और यह भी अपील की गई थी कि कुछ प्रदर्शन को लेकर तुरंत सुनवाई की जाए क्योंकि इन प्रदर्शनों से दो समुदायों के बीच तनाव फैल सकता है। अदालत की बेंच ने इस याचिका पर कहा कि कोई हेट स्पीच और कोई हिंसा खासकर महिलाओं के खिलाफ कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए। 

वरिष्ठ वकील सी यू सिंह ने अदालत का ध्यान इस बात पर दिलाया कि शाम को कुछ बैठकें भी होनी हैं। अदालत को बताया गया कि नूंह और गुरुग्राम में हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। रैलियों की वजह से  जान माल का नुकसान हो सकता है।  जिसपर अदालत ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जानमाल का नुकसान नहीं हो।

आपको बता दें कि सोमवार को हरियाणा के नूंह में एक धार्मिक यात्रा के दौरान हिंसा फैली थी। इस दौरान कई जगहों पर सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं और आगजनी भी की गई थी। इसके बाद देखते ही देखते यह हिंसा गुरुग्राम, फरीदाबाद और पलवल तक पहुंच गई। इस हिंसा में कुल 6 लोगों की जान अब तक जा चुकी है। इसके अलावा कई लोग घायल भी हुए हैं। मृतकों में एक इमाम के अलावा होम कार्ड के जवान भी शामिल हैं। बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की भी मौत हो चुकी है। 

दिल्ली में वीएचपी का प्रदर्शन

इसी नूंह हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में बुधवार को जमकर प्रदर्शन किया है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की सड़क पर हनुमान चालीसा भी पढ़ा और जय श्री राम के नारे लगाए। इस प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये थे। 

SIT का गठन

हरियाणा पुलिस प्रमुख पी के अग्रवाल ने बुधवार को यहां कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक हिंसा के मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा और इसमें बजरंग दल के सदस्य मोनू मानेसर की भूमिका की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम पूरी तरह सुरक्षित है और हिंसा की कोई खबर नहीं है। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों को नूंह में तैनात किया गया और पुलिस बल को प्रशासन के आदेशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया गया है।

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