इसलिए इस दिन को कहा जाता है पाम संडे, जानिए…

ईसाई धर्म को क्रिश्‍चियन धर्म  के नाम भी जाने जाते है। इस धर्म के संस्थापक प्रभु ईसा मसीह है। ईसा मसीह के पहले से चली आ रही प्रॉफेट की परंपरा का एक प्रॉफेट कहा जाता है । इब्रानी में उन्हें येशु, यीशु या येशुआ कहते थे परंतु अंग्रेजी उच्चारण में यह जेशुआ हो गया। यही जेशुआ बदलकर जीसस हो गया।   
 
पाम संडे : रविवार को यीशु ने येरुशलम में कदम रखा था। अधिकतर विद्वानों के मुताबिक सन 29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचे। इस दिन को ‘पाम संडे’ बोलते है। अब सवाल यह कि इस संडे में पाम क्यों जुड़ा? बता दें कि  ईसा मसीह की लोकप्रियता येरुशलम में प्रवेश के पहले ही हो गई थी। उनके उपदेशों की वजह से लोग उन्हें जानने लग गए थे। उनकी लोकप्रियता से कट्टरपंथी यहूदियों के साथ ही रोमनों में भी चिंता की लहर दौड़ पड़ीं थी। उस दौर में रोमनों का जेरूसलम सहित संपूर्ण यहूदी साम्राज्य पर उसी तरह का शासन था जिस तरह का कि इंडिया में अंग्रेजों का था। लोग इस शासन से त्रस्त आ चुके थे लेकिन हर तरह के विद्रोह को रोमन कुचल देते थे। ऐसे में यहूदियों के मन में यह भरोसा हो  था कि कभी तो मसीहा आएगा। जब जीसस  की लोकप्रियता बढ़ी तो लोगों ने उन्हें मसीहा समझा। 

जब प्रभु ईसा मसीह ने यह प्रकट किया कि मैं ही मसीहा हूं, ईश्‍वर का पुत्र हूं और स्वर्ग का राज्य स्थापित करने स्वर्ग से आया हूं तो लोगों को यह भरोसा हो गया कि हमारा मुक्ति दाता आ चुका है। फिर ईसा मसीह 29 ई. में एक दिन रविवार को गधी पर सवार होकर यरुशलम पहुंच गए। लोगों को जब यह पता चला कि मसीहा आ गया है तो लोगों ने उनका पाम की डालियां, पत्तियां आदि दिखाकर स्वागत किया। लोग उनका स्तुतिगान करते हैं और उन्हें राजा एवं मुक्तिदाता कहकर बुलाते है। इसीलिए इस दिन को पाम संडे कहा जाने लगा।

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