जानिए आखिर क्यों चैत्र अमावस्या को कहा जाता है भूतड़ी अमावस्या…

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को अहम माना गया है। इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ की खास अहमियत होती है। इससे देवताओं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है एवं शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि के दिन अमावस्या होती है। पूरे वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती है तथा सभी के अलग-अलग नाम व मान्यताएं होती है। चैत्र महीने की भूतड़ी अमावस्या पर पितरों के तर्पण के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। भूतड़ी अमावास्या पर पवित्र नदी में स्नान, ब्राह्मण एवं निर्धन लोगों में दान, पितरों का तर्पण, व्रत और पूजा का विधान है। जानते हैं इस वर्ष कब पड़ रही है भूतड़ी अमावस्या और चैत्र अमावस्या को क्यों कहा जाता है भूतड़ी अमावस्या।

भूतड़ी अमावस्या तिथि, मुहूर्त और शुभ योग:-

चैत्र अमावस्या प्रारंभ: 20 मार्च 2023, रात 01:47
चैत्र अमावस्या समाप्त: 21 मार्च 2023, रात 10:53

चैत्र महीने की अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है। इसलिए इसे भूतड़ी अमावस्या के साथ ही भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। ज्योतिष के मुताबिक, इस दिन कई शुभ योग भी बन रह हैं, जिससे इस अमावस्या की अहमियत और अधिक बढ़ जाती है। इस दिन शुभ,शुक्ल और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।

आखिर क्यों चैत्र अमावस्या को कहा जाता है भूतड़ी अमावस्या?

अलग-अलग महीने एवं विशेष दिनों में पड़ने के कारण अमावस्या के विभिन्न नाम भी होते हैं। मगर चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या का नाम भूतड़ी अमावस्या है, जिसे सुनकर किसी के मन में सबसे पहली चीज यह आएगी कि क्या ये भूतों की अमावस्या तो नहीं है या इसका संबंध भूतों से तो नहीं है, मगर हां नकारात्मक शक्तियों से अवश्य है। मान्यता है कि नकारात्मक शक्तियां या अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए लोगों के शरीर को निशाना बनाती है तथा अपना अधिकार जमाने का प्रयास करती है। इस के चलते आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां उग्र हो जाती है। आत्माओं की इसी उग्रता को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या पर नदी स्नान करने की अहमियत है।

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