महाराष्ट्र: सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के खिलाफ बॉम्बे HC में याचिका दायर, इस दिन हो सकती है सुनवाई

महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन स्कीम की मांग को लेकर 17 लाख कर्मचारी हड़ताल पर उतरे हुए हैं। राज्य सरकार के कर्मचारियों की जारी हड़ताल को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर बंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है। कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि राज्य के कर्मचारियों की हड़ताल से मरीजों और छात्रों पर असर पड़ा है। इस याचिका पर शुक्रवार को इस पर सुनवाई हो सकती है।

हड़ताल से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं हो रही प्रभावित

राज्य सरकार के कर्मचारियों ने 2005 में समाप्त की गई पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की है। इसके लिए सभी कर्मचारी 14 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरे हुए हैं। अधिवक्ता गुणरतन सदावर्ते द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों की जारी हड़ताल से सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं और स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हुई है।

हड़ताल से अनुच्छेद 21 का हो रहा है उल्लंघन

सरकारी अस्पतालों में मरीजों को आंदोलन के कारण परेशानी हो रही है। सदावर्ते ने दावा किया कि राज्य सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान हुई थी, इससे छात्र-छात्राओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। तो वहीं अधिवक्ता गुणरतन सदावर्ते ने याचिका में यह भी कहा कि समय पर इलाज नहीं मिलने और हड़ताल के कारण सर्जरी स्थगित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है।”

याचिकाकर्ता कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ नहीं

बंबई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन उनके हड़ताल पर जाने से आम नागरिक और छात्र प्रभावित होते हैं। सदावर्ते ने आवेदन में कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की है कि सरकार मांग पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन करेगी। तो वहीं आवेदन में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी मांग पर गौर करने के लिए उठाए गए सकारात्मक कदमों पर ध्यान दिए बिना ही अवैध हड़ताल” पर चले गए।

शुक्रवार को हो सकती है सुनवाई

बंबई कोर्ट में राज्य सरकार के कर्मचारियों की जारी हड़ताल को तत्काल वापस लेने की मांग वाली याचिका में यह भी कहा गया कि इसके कारण अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी प्रतिष्ठानों, कर कार्यालयों और यहां तक कि जिला कलेक्टर कार्यालयों में भी सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं। सदावर्ते ने यह भी दावा किया कि हड़ताल महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम, 2023 (मेस्मा) के प्रावधानों का उल्लंघन है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला की खंडपीठ शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई कर सकती है।

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