IPS धीरज सेतिया आरोपमुक्त, चोरी की घटना को दबाने के लिए पैसे लेने का लगा था आरोप

करोड़ों रुपये की चोरी के मामले में आरोपितों की सूची से आईपीएस धीरज सेतिया का नाम स्पेशल टास्क फाेर्स (एसटीएफ) ने बाहर कर दिया। शुक्रवार को जिला अदालत में सुनवाई के दौरान पेश किए गए चालान में उनका नाम शामिल नहीं। पालीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उनके ऊपर मामले को दबाने के लिए लगाए गए आरोप साबित नहीं हुए।

नाम आने के बाद सरकार ने किया था निलंबित

मामले में नाम आने के बाद से प्रदेश सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। अदालत में पेश न होने की वजह से उन्हें जिला अदालत ने फरार तक घोषित कर दिया था। बाद में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से उन्हें अंतरिम जमानत मिली। वर्ष 2021 के अगस्त महीने में खेड़कीदौला थाना इलाके की एक सोसाइटी के दो फ्लैट से लगभग 30 करोड़ रुपये चोरी किए जाने का मामला सामने आया था।

पैसे अल्फाजी कार्प मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के थे। मामले में कुख्यात गैंगस्टर विकास लगरपुरिया सहित आराेपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। विकास लगरपुरिया मामले का मास्टर माइंड है। उसके गुर्गों ने ही वारदात को अंजाम दिया था। उस समय आईपीएस धीरज सेतिया गुरुग्राम में पुलिस उपायुक्त क्राइम की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

पालीग्राफ टेस्ट में पैसे लेने के आरोप नहीं साबित हुए

आरोप था कि मामला सामने आने पर उन्हाेंने दबाने के लिए कुछ पैसे लिए थे। छानबीन में यह भी सामने आया था कि उन्हें काफी मोटी राशि दी गई थी, लेकिन उन्होंने कुछ रखकर बाकी लौटा दी थी। वह शुरू से ही इस बात से इनकार करते रहे। इसके लिए पालीग्राफ टेस्ट कराया गया। टेस्ट की रिपोर्ट में मामले को दबाने के लिए पैसे लेने के आरोप साबित नहीं हुए।

ऐसे हुआ था मामला उजागर वर्ष 2021 में अक्टूबर महीने के दौरान बजघेड़ा थाना इलाके में हथियारबंद चार-पांच बदमााश लूट की वारदात को अंजाम देने के लिए घूम रहे थे। सूचना मिलते ही क्राइम ब्रांच की सेक्टर-31 टीम इलाके में पहुंची। पुलिस को देखते ही बदमाशों ने फायरिंग कर दी थी। मुठभेड़ के बाद मौके से तीन बदमाश पकड़े गए थे। दो भागने में कामयाब हो गए थे।

पकड़े गए बदमाशों ने ही पूछताछ के दौरान कहा था कि उन्होंने खेड़कीदौला थाना इलाके की एक सोसायटी के दो फ्लैट से पैसे चोरी करने की वारदात को अंजाम दिया था। फिर मामले की छानबीन शुरू की गई तो पता चला कि लगभग 30 करोड़ रुपये फ्लैट में थे। हालांकि कंपनी की ओर से 50 लाख रुपये चोरी किए जाने की शिकायत सामने आई थी। पैसे कम क्यों दिखाए गए, यह बात आज तक सामने नहीं आई। 

गैंगस्टर और विक्रांत के विरुद्ध चालान पेश 

एसटीएफ की गुरुग्राम टीम ने मामले के मास्टर माइंड गैंगस्टर विकास लगरपुरिया और उसके दोस्त विक्रांत के विरुद्ध चालान शुक्रवार को पेश कर दिया। पूछताछ के दौरान गैंगस्टर ने भी आइपीएस धीरज की मामले में संलिप्ता की बात स्वीकार की थी। एक अन्य आरोपित ने भी पूछताछ के दौरान उनका नाम लिया था। गैंगस्टर ने यहां तक स्वीकार किया है कि उसके पास चोरी के लगभग 22 करोड़ रुपये आए थे।

इस तरह की गई थी प्लानिंग 

छानबीन के मुताबिक कंपनी में कार्यरत एक कर्मचारी ने ही सोसायटी के दोनोें फ्लैट में करोड़ों रुपये होने की जानकारी डा. जीपी सिंह को दी थी। डा. सिंह ने आगे सूचना शहर में एक अस्पताल के संचालक डा. सचिंद्र जैन नवल को दी थी। डा. नवल से आगे सूचना कुख्यात गैंगस्टर विकास लगरपुरिया के पास पहुंची। इसके बाद गैंगस्टर ने अपने पांच-छह गुर्गों को सोसायटी में किराये पर ठहराया।

मौका मिलते ही गुर्गों ने वारदात को अंजाम दिया था। चोरी के पैसे सबसे पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल ब्रांच में तैनात एएसआइ विकास के पास पैसे पहुंचाए गए थे। तीन गाड़ियों से पैसे बदमाश दिल्ली लेकर पहुंचे थे। डा. नवल से पूछताछ में ही तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (क्राइम) धीरज सेतिया का नाम पहली बार सामने मामले में आया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता अमरजीत यादव ने कहा कि मामले में अधिकतर आरोपितों के विरुद्ध चालान पेश किए जा चुके हैं। शुक्रवार को पेश किए गए चालान में आइपीएस धीरज सेतिया का नाम शामिल नहीं है। पालीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर एसटीएफ ने उनका नाम आरोपितों की सूची से बाहर कर दिया।

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