इस बार यात्रियों को चारधाम में नहीं दिखेंगे हिमखंड

उच्च हिमालयी क्षेत्र में इस बार हुई बेहद कम बर्फबारी का असर तापमान बढ़ने के रूप में दिखाई देने लगा है। चारों धाम में भी जो थोड़ी-बहुत बर्फ है, वह तेजी से पिघल रही है। यात्रा मार्गों पर वह विशालकाय हिमखंड भी नजर नहीं आ रहे, जो यात्राकाल में तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का केंद्र बने रहते थे।

बीते वर्षों में चारधाम यात्रा शुरू होने के एक माह बाद भी तीर्थ यात्रियों को दर्शनों के लिए बर्फ के बीच से जाना पड़ता था। लेकिन, लगता नहीं कि इस बार बर्फ देखने को भी मिलेगी।

इस बार तो गंगोत्री हाईवे पर बनने वाले चांगथांग हिमखंड का भी नामोनिशान तक नहीं है। गंगोत्री से 20 किमी पहले धराली के पास बनने वाले इस विशालकाय हिमखंड के दीदार बीते वर्षों में मई तक होते रहे हैं।

केदारपुरी में भी तीन से चार फीट बर्फ है, जिसके 15 मार्च तक पिघल जाने की उम्मीद है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर बनने वाले विशालकाल हिमखंड भी महज उपस्थिति दर्ज कराने तक सीमित हैं। यही स्थिति बदरीनाथ हाईवे पर स्थित हिमखंडों की है, जो तेजी से पिघल रहे हैं।

इस वर्ष गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल, केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले जाने हैं। उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 9978 फीट की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम जाने वाले गंगोत्री हाईवे पर धराली से पांच किमी आगे चांगथांग नामक स्थान पर हिमस्खलन से हर वर्ष एक किमी लंबा, 25 मीटर चौड़ा और दस मीटर ऊंचा हिमखंड बनता रहा है।

कई बार यह हिमखंड हाईवे के नीचे 300 मीटर भागीरथी नदी तक फैल जाता है। यात्राकाल में बीआरओ इस हिमखंड को काटकर हाईवे सुचारु करता रहा है। लेकिन, वर्ष 2014 के बाद यह पहला अवसर है, जब चांगथांग हिमखंड नहीं बना। हर्षिल की पूर्व प्रधान 75-वर्षीय बसंती नेगी बताती हैं कि इस बार हर्षिल और गंगोत्री क्षेत्र में बर्फबारी बहुत कम हुई। जनवरी-फरवरी में केवल तीन बार बर्फबारी हुई, वह भी टिक नहीं पाई।

केदारनाथ में भी तेजी से पिघल रही बर्फ

रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारपुरी में इस बार बर्फबारी कम होने से प्रशासन की चुनौती जरूर कम हुई हैं, लेकिन तीर्थ यात्रियों को धाम में बर्फ देखने को नहीं मिलेगी। वर्तमान में गौरीकुंड से लिनचोली तक केदारनाथ पैदल मार्ग पर कहीं भी बर्फ नहीं है।

लिनचोली से केदारपुरी तक तीन से चार फीट ही बर्फ जमी है। लिनचोली और केदारनाथ के बीच चार ग्लेशियर प्वाइंट पर ठीक-ठाक बर्फ नजर आ रही है। जबकि, बीते वर्षों में यहां आठ से दस फीट बर्फ जमती थी।

रामबाड़ा, छोटी लिनचोली और बड़ी लिनचोली से लेकर केदारनाथ तक सात से अधिक हिमखंड बनते हैं। बीते वर्षों में इन हिमखंडों का दीदार मई तक तक होता रहा है, लेकिन इस बार तापमान बढ़ने से इनके पिघलने का क्रम शुरू हो गया है।

हिमखंडों को नहीं मिला पहले जैसा आकार

बर्फबारी कम होने से इस बार तीर्थ यात्री बदरीनाथ हाईवे पर भी हिमखंडों का दीदार नहीं कर पाएंगे। चमोली जिले में समुद्रतल से 10277 फीट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम से हनुमान चट्टी के बीच नाममात्र के लिए ही हिमखंड बने हैं।

बीते वर्षों में यहां हनुमान चट्टी से बदरीनाथ के बीच रड़ांग नाला, रड़ांग बैंड और कंचनगंगा में तीर्थ यात्री छह से अधिक हिमखंडों के बीच से गुजरते रहे हैं। इनकी उपस्थिति मई-जून तक रहती थी। इस बार चार हिमखंड ही बने हैं। इनका आकार भी बीते वर्षों जितना नहीं है और तेजी से पिघल भी रहे हैं। बीते वर्षों में अलकनंदा नदी देवदशर्नी से रड़ांग के बीच हिमखंडों के नीचे से बहती रही है, लेकिन इस बार यह नजारा भी नहीं दिख रहा।

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