तमिलनाडु सरकार ने NEET की वैधता के खिलाफ SC में दायर की याचिका

तमिलनाडु सरकार ने देश भर के कॉलेजों में मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) की वैधता को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सिंगल विंडो कॉमन टेस्ट संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन है।

बता दें, नीट एमबीबीएस और बीडीएस जैसे स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों के साथ-साथ सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा है।

संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन

संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर एक मुकदमे में, राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि संघवाद के सिद्धांत, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है, का नीट जैसी परीक्षाओं द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि यह राज्यों की शिक्षा के संबंध में निर्णय लेने की स्वायत्तता को छीन लेता है।

2020 में अदालत ने नीट की वैधता को रखा था बरकरार

वकील अमित आनंद तिवारी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 2020 में नीट की वैधता को इस आधार पर बरकरार रखा था कि उम्मीदवारों की भुगतान क्षमता के आधार पर प्रवेश देना, प्रति व्यक्ति शुल्क लेना, बड़े पैमाने पर कदाचार, छात्रों का शोषण, मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण जैसी अनुचित प्रथाओं की बुराई पर अंकुश लगाना आवश्यक था।

राज्य को बाध्य नहीं करता नीट को बरकार रखने वाला फैसला

हालांकि, इस तरह के आधार सरकारी सीटों पर प्रवेश के मामले में लागू नहीं होते हैं और निर्णय का तर्क केवल निजी कॉलेज की सीटों पर लागू होता है। जहां तक सरकारी सीटों पर दाखिले का संबंध है, नीट को बरकरार रखने वाला फैसला किसी राज्य को बाध्य नहीं करता है।

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