शिक्षा मंत्री की जीभ काटने की टिप्पणी करने पर स्वामी परमहंस के खिलाफ मामला दर्ज
रामचरित मानस से जुड़े विवाद में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान पर जगतगुरु स्वामी परमहंस महाराज की तरफ से जीभ काटने की टिपणी पर न्यायालय में नालिसी केस दायर किया गया है। औद्यौगिक थानाक्षेत्र के गोपालपुर बहादुरपुर निवासी जगदीश पासवान ने केस में आरोप लगाया है कि परमहंस महाराज का बयान जाति विद्वेष और डर पैदा करने वाला है।
क्या है मामला
बिहार के भागलपुर में 64 वर्षीय जगदीश पासवान नाम के एक शख्स ने यह मामला दर्ज कराया है। शिकायतकर्ता ने अपने आवेदन में कहा है कि उत्तर प्रदेश के अध्योध्या में छावनी रामघाट रेलवे ब्रिज रामकथा पार्क निवासी जगतगुरू पीठधीश्वर स्वामी परमहंस तपस्वी ने एक बयान दिया है जो समाज में दहशत फैलाने वाला है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसे टीवी चैनल, समाचार पत्रों और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से खबर मिली है कि आरोपी ने बिहार के शिक्षा मंत्री और प्रो. चंद्रशेखर यादव की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये इनाम देने की घोषणा की है। आरोपी का यह बयान धमकी भरा और समाज में दहशत फैलाने वाला है। आरोपी का यह बयान समाज में डर पैदा कर बहुजनों की आवाज दबाने वाला है।
शिकायती आवेदन में कहा गया है कि आरोपी के बयान से आवेदक इतना भयभीत है कि अपनी विचारधारा को स्वच्छंदता पूर्वक रखने में डर लगने लगा है। आरोपी के बयान से आवेदक और आवेदक की तरह सोच रखने वाले लाखों लोग जो पहले प्रो. चंद्रशेखर की तरह रामचरितमानस की विभिन्न चौपाइयों का विरोध कर चुके हैं, अब डर से घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
शिकायकर्ता का आरोप है कि उसे डर है कि कहीं आरोपी महंत के समर्थक राह चलते उसके साथ मारपीट, गाली-गलौज या अपमानित करने वाली किसी घटना को अंजाम ना दे दें। आवेदक ने कहा है कि संविधान में हमें अपने विचारों को प्रेषित करने का अधिकार दिया गया है। परंतु आरोपी महंत के बयान से हमारा यह अधिकार प्रतिबंधित हो जाता है। इसलिए आरोपी का बयान संविधान के विरुद्ध है और राजद्रोह की श्रेणी में आता है।
आरोप है कि आरोपी का यह बयान जाति, विद्वेष को बढ़ावा देने वाला है। इस घटना से विक्षुब्ध होकर आवेदक थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए गया, किंतु थाने की ओर से कोई रुचि नहीं ली गई। ऐसे में आवेदक न्यायालय की शरण में आया है। आवेदक ने अदालत से उचित कानूनी कार्रवाई की गुहार लगाई है। आवेदन में दो गवाहों के नाम दिए गए हैं।