जानिए आखिर क्यों मकर संक्रांति पर उड़ाई जाती है पतंग…

जनवरी के महीने में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी हैं। इसलिए इस दिन पिता-पुत्र का मिलन होता है। ज्योतिषशास्त्रों के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन कुछ कार्यों को वर्जित किया गया है, इस कार्यों से सूर्य देव आपसले हमेशा के लिए नाराज हो सकते हैं। 15 जनवरी 2023 को इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार रविवार के दिन मनाया जाएगा। 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर प्रातः 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा। मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल प्रातः 7 बजकर 14 मिनट से प्रातः 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। 

क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
कई मान्यताओं में से एक कथा यह भी है कि इस दिन सूर्य देवता स्वयं अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. तथा शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, बस यही वजह है कि इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है. एक कथा इस प्रकार भी प्रचलित है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं.

मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग?
तमिल की तन्दनान रामायण में इस प्रश्न का जवाब मिलता है. इस ग्रंथ के अनुसार, मकर संक्रांति के मौके पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी तथा वह पतंग उड़कर इंद्रलोक में चली गई थी. तभी से इस त्योहार के मौके पर पतंग उड़ाने की परंपरा है. इस प्रसंग का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के बालकांड में भी मिलता है. एक संस्कृत श्लोक भी इस सिलसिले में है.

क्यों किया जाता है दान?
वही इस दिन स्नान के बाद दान करने से लाभ की मान्यता रही है. कहा जाता हैं कि इस त्योहार पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर फिर मिलता है. सबसे महत्वपूर्ण यह कि इस दिन शुद्ध घी और कंबल के दान को मोक्ष की वजह कहा जाता है. आम तौर से खिचड़ी दान की जाती है.

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