प्रॉपर्टी से बनाना चाहते हैं पैसा, तो घर खरीदने से पहले इन 4 बातों पर कर लें गौर, भविष्य में बढ़ जाएगी आपके मकान की कीमत

दिल्ली : भारत में रियल एस्टेट में निवेश सबसे सुरक्षित और फायदेमंद विकल्प माना गया है. पिछले कुछ वर्षों में प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट तेजी से बढ़ा है. रेसिडेंशियल के साथ-साथ अब लोग कमर्शियल प्रॉपर्टी में भी निवेश करने लगे हैं. हालांकि, हर तरह के एसेट क्लास में इन्वेस्टमेंट करने से पहले बेहतर रिटर्न के लिए कुछ अहम पहलुओं पर गौर करना जरूरी होता है, ताकि आपको निवेश से बेहतर रिटर्न मिल सके.

रियल एस्टेट सेक्टर में भी इन्वेस्टमेंट से पहले कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. इनमें प्रॉपर्टी की लोकेशन, डेवलपमेंट और रिसेल वैल्यू आदि फैक्टर शामिल हैं. रियल एस्टेट सेक्टर में हुए सुधार और नए कानूनों के आने के बाद से धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगी है इसलिए इस क्षेत्र में निवेश तेजी
से बढ़ा है. आप चाहे इन्वेस्टमेंट के मकसद से प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं या पर्सनल यूज के लिए खरीदना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी बातों पर गौर करना चाहिए.

मायने रखती है लोकेशन
जब भी आप रेसिडेंशियल या कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं तो लोकेशन बहुत मायने रखती है. क्योंकि आपके घर या इलाके में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पहुंच, सिक्योरिटी, ऑफिस, स्कूल और अस्पताल से आपके घर की दूरी, शॉपिंग मॉल और बाजार जैसी अन्य सुविधाओं की पहुंच कितनी है, इन बातों पर विचार करना चाहिए. दरअसल हर शहर में ज्यादातर प्रॉपर्टी और विकास कार्य सिटी से काफी दूर हो रहे हैं. चूंकि शहरों के बीच मिलने वाले प्रोजेक्ट्स की लागत ज्यादा होती है.

वहीं, शहरों के बाहर यही फ्लैट या घर सस्ते दामों पर मिल जाते हैं, लेकिन सस्ता खरीदने से पहले प्रॉपर्टी की लोकेशन और वहां उपलब्ध सुविधाओं पर जरूर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि ये सुविधाएं आपकी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए बहुत मायने रखती है. अगर आप किसी ऐसी लोकेशन पर घर खरीद लेते हैं जहां इन सुविधाओं का अभाव है या दूरी ज्यादा है तो आपकी ट्रैवलिंग कास्ट बढ़ सकती है.

प्रॉपर्टी कंस्ट्रक्शन की स्टेज
जब भी आप कोई भी प्रॉपर्टी खरीदें तो सबसे पहले बिल्डर के बारे में जानें और प्रोजेक्ट की कंस्ट्रक्शन स्टेज के बारे में पता कर लें. दरअसल निर्माणधीन मकानों या फ्लैट्स की कीमत कम होती है क्योंकि इनका निर्माण शुरुआती चरण में होता है इसलिए निवेशक या ग्राहक इन प्रोजेक्ट्स में दिलचस्पी दिखाते हैं. लेकिन कई मामलों में बिल्डर की लापरवाही या अन्य कारणों से निर्माण में देरी हुई है और ग्राहकों को तय समय सीमा पर घर का पजेशन नहीं मिला है. हालांकि, रेरा जैसा कानून आने के बाद इन मामलों में काफी कमी आ गई है. लेकिन, अगर आप अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो निर्माण की मौजूदा स्थिति और इससे जुड़ी अन्य बातों के बारे में अच्छे से जान लें.

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डॉक्यूमेंट्स और शुल्कों की जांच भी जरूरी
किसी भी प्रॉपर्टी में अपना कब्जा या स्वामित्व हासिल करने के लिए रजिस्ट्री समेत अन्य दस्तावेज अहम होते हैं इसलिए जरूरी है कि इन बातों पर गौर किया जाए. इसके अलावा प्रॉपर्टी खरीदने से पहले बिल्डर्स से फ्लैट की कीमत के अलावा अन्य शुल्कों और कागजी कार्रवाई की आवश्यकता के बारे में अच्छे से पता करें. इनमें मॉर्गेज या ऑनरशिप ट्रांसफर डॉक्यूमेंट्स शामिल हैं. खरीदारी करने से पहले, स्थानीय या वैधानिक शुल्क, बाधा डालने वाले मरम्मत शुल्क और बीमा प्रीमियम जैसे किसी भी अस्पष्ट शुल्क पर विचार करें और बातचीत करें.

प्रॉपर्टी की रिसेल वैल्यू
किसी संपत्ति में निवेश करने से उसकी रिसेल वैल्यू यानी भविष्य में प्रॉपर्टी को बेचने पर क्या कीमत मिल सकती है इस बात पर विचार करना बेहद अहम होता है. क्योंकि समय के साथ संपत्ति की कीमतों में वृद्धि होनी चाहिए, ताकि आपको अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न मिल सके. हालांकि, ज्यादातर घर खरीददार प्रॉपर्टी लेने से पहले इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं. वे अक्सर सस्ते घर या बजट पर फोकस करते हैं, लेकिन यह एक गलत सोच है. क्योंकि अगर गलत प्रॉपर्टी या गलत लोकेशन पर घर खरीद लिया जाता है तो भविष्य में उसकी रिसेल वैल्यू कम हो सकती है.

घर खरीदना या बनाना आम आदमी की जिंदगी का एक बड़ा निर्णय होता है. इसलिए इस प्रमुख वित्तीय निर्णय पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए. क्योंकि ये छोटी-सी सावधानियां आने वाले वर्षों के लिए एक सुरक्षित निवेश सुनिश्चित कर सकती है.

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