अजीत डोभाल के ‘मिशन मध्‍य एशिया’ से टेंशन में आ गई शहबाज सरकार, SAARC का राग अलापना शुरू किया

Delhi: अजीत डोभाल यानी भारत की सुरक्षा से जुड़े सबसे ताकतवर नौकरशाह जिनकी नियुक्ति सीधे पीएम मोदी ने की है और डोभाल सिर्फ उन्हीं के प्रति जवाबदेह हैं। सर्जिकल स्ट्राइक हो या जम्मू कश्मीर से 370 के क्लाइमेक्स से लेकर एंडिग तक की बात, अजीत डोभाल का किरदार नरेंद्र मोदी और अमित शाह की लिखी हर हिट कहानी में सशक्तता से होता है। लेकिन भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले एनएसए डोभाल के मिशन मध्य एशिया से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान टेंशन में आता नजर आ रहा है। आलम ये है कि पाकिस्तानी हुक्मरान लंबे अंतराल के बाद दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क की रट लगाने दिख रहे हैं। इतना ही नहीं कश्मीरी आतंकियों के पालन-पोषण में शामिल रहने वाले पाकिस्तान ने उल्टा भारत पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा दिया है। आतंक समर्थित पाक की शहबाज सरकार की तरफ से इस तरह का बयान ऐसे वक्त में आया है जब भारतीय एनएसए अजीत डोभाल ने मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ पहली मीटिंग की है। 

मध्‍य एशियाई देशों के एनएसए संग डोभाल की विशेष बैठक

 भारत और मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने आतंकवाद के वित्तपोषण, चरमपंथ तथा सीमापार से होने वाले आतंकवाद में छद्म आतंकियों के इस्तेमाल जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई की अपील की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों के लिए पनाहगाह नहीं बनने देना चाहिए। बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि विभिन्न देशों को सड़क मार्ग से जोड़ने की पहल पारदर्शिता एवं सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआई) पर भारत के रुख की मौन स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है।  डोभाल की मेजबानी में हुई बैठक में अफगानिस्तान की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरूरत पर जोर दिया गया तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का आग्रह किया गया बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया, वहीं तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत ने किया।

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पाक ने सार्क का राग अलापना शुरू किया

भारत के मिशन दक्षिण मध्य एशिया से हैरान-परेशान पाकिस्तान खुद को अलग-थलग होता देख अब सार्क के मुद्दे को उठाने का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि पाकिस्तान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। सार्क चार्टर दिवस के अवसर पर उनकी टिप्पणी आई। शरीफ ने ट्वीट करते हुए कहा कि सार्क चार्टर दिवस आज दक्षिण एशिया के देशों के बीच क्षेत्रीय विकास, कनेक्टिविटी और सहयोग की विशाल अप्रयुक्त क्षमता की याद दिलाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सार्क देशों के लोग “इन छूटे हुए अवसरों के शिकार” थे और कहा: “पाकिस्तान सार्क के पुनरुद्धार के लिए अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।” सार्क के सदस्यों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं। बता दें कि पिछले छह सालों में सार्क की कोई बैठक नहीं हुई है। 19वां शिखर सम्मेलन 2016 में पाकिस्तान में होने वाले ब्लॉक को दोनों पड़ोसियों के बीच मतभेदों के कारण स्थगित कर दिया गया था।

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