हिमालय की गोद में भारतीय सेना और US Army का रॉक कॉन्सर्ट, गिटार से बांधा समां

औली: उत्तराखंड के औली में हाल ही में आयोजित युद्धभ्यास के 18वें संस्करण के दौरान भारतीय सेना और अमेरिकी सेना के बैंड ने हिमालय की गोद में रॉक कॉन्सर्ट किया था. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने लीड गिटारिस्ट की भूमिका निभाई थी. अमेरिकी सेना की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन ने उस रॉक कॉन्सर्ट का एक वीडियो शेयर किया है. उत्तराखंड के औली में 9544 फीट की ऊंचाई पर भारत और अमेरिकी सैनिकों ने करीब 12 दिनों तक युद्धाभ्यास किया था.  युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिकों ने उग्रवादियों से नागरिकों को छुड़ाकर उन्हें सुरक्षित जगह पहुंचाया, दुश्मन को जंगल में ट्रैप में फंसाकर घेरा, साथ ही जरूरत पड़ने पर अनआर्म्ड कॉम्बेट (गुत्थम गुत्था की लड़ाई) में दुश्मन को चित किया.

भारत और अमेरिकी सेना के बीच युद्धाभ्यास में वॉर गेमिंग की गई और फिर दोनों देशों के सैनिकों ने कई तरह की ट्रेनिंग एकसाथ की. करीब 12 दिनों की एक्सरसाइज के बाद 29 और 30 नवंबर को इसका वेलिडेशन शुरू हुआ. किसी भी एक्सरसाइज में वेलिडेशन का मतलब होता है कि एक्सरसाइज में जो ट्रेनिंग ली, जो प्लानिंग की उसे परखना. भारतीय और अमेरिकी सैनिकों ने कई सिचुएशन को ध्यान में रखकर युद्धाभ्यास किया. इसमें प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कैसे सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन करना है, किसी देश में उग्रवादियों ने कब्जा कर लिया है और वह हाई एल्टीट्यूड एरिया में हैं तो उग्रवादियों पर कैसे काबू पाना है, कैसे शांति स्थापित करनी है और बंधकों को छुड़ाना है, यह सब शामिल रहा. दोनों देशों के सैनिकों ने एक दूसरे की बेस्ट प्रैक्टिस जैसे कॉम्बेट मेडिकल, कॉम्बेट इंजीनियरिंग, अनआर्म्ड कॉम्बेट को साझा किया, एक दूसरे से काफी कुछ नया भी सीखा.

यह युद्धाभ्‍यास इतना खास क्‍यों रहा?
औली में हुआ युद्धाभ्यास इस लिहाज से भी खास रहा क्योंकि पहली बार भारतीय और अमेरिकी सैनिक हाई एल्टीट्यूड में एक्सरसाइज कर रहे थे. पहली बार भारतीय सेना ने जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज के लिए हाई एल्टीट्यूडमें फॉरेन ट्रेनिंग नोड (FTN) बनाया. भारतीय सेना को हाई एल्टीट्यूड में लड़ाई लड़ने का अनुभव है. भारतीय सेना पहले से ही हाई एल्टीट्यूड में ट्रेनिंग करती आई है. हाई एल्टीट्यूड में लड़ाई लड़ने, लॉजिस्टिक और मेडिकल की जो क्षमता भारतीय सेना के पास है वह किसी दूसरे देश के पास नहीं हैं. हाई एल्टीट्यूड की अपनी चुनौतियां हैं, क्योंकि यहां दुश्मन के साथ ही माउंटेन भी चुनौती देते हैं. यहां चलने में ही सांसें फूलने लगती हैं. सामान्य इलाके और हाई एल्टीट्यूड में कोई भी ऑपरेशन करने में बहुत फर्क है. इस एक्सरसाइज से दोनों देशों, खासकर अमेरिकी सैनिकों ने काफी कुछ नया सीखा.

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