‘5 दिसंबर को रात 8 बजे मेरी मां मर जाएगी, मुझे CL चाहिए’, शिक्षा विभाग के फरमान पर शिक्षकों का अनोखा विरोध!

पटना : बिहार में सरकारी शिक्षकों के लिए अनोखा फरमान जारी किया गया है. आकस्मिक अवकाश (Casual leave) यानी सीएल (CL) के लिए अब तीन दिन पहले ही आवेदन देना होगा. यह सरकारी आदेश मुंगेर, भागलपुर और बांका के लिए जारी किया गया है. शिक्षा विभाग की ओर से यही कहा जा रहा है कि ये आदेश शिक्षकों की कम संख्या को देखते हुए जारी किया गया है. RDDE और डीईओ के इस अजीबोगरीब आदेश के बाद शिक्षकों में आक्रोश देखा जा रहा है.

शिक्षकों ने इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए जारी आदेश पत्र पर आपत्ति जताई है और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इस अजीबोगरीब आदेश का विरोध करते हुए शिक्षक भी अपना आक्रोश अनोखे अंदाज में व्यक्त कर रहे हैं. शिक्षक डमी आवेदन लिखकर अधिकारियों पर तंज रहे हैं. शिक्षक पूछ रहे हैं कि आखिर कोई शिक्षक कैसे भविष्यवाणी करेंगे कि वो बीमार पड़ेंगे?

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बता दें कि जिला शिक्षा पदाधिकारी, मुंगेर के द्वारा पत्र संख्या 5328 में कहा गया है कि प्राय: ऐसा देखा जा रहा है कि आकस्मिक अवकाश का आवेदन अधोहस्ताक्षरी कार्यालय को उपलब्ध कराकर बिना अवकाश की स्वीकृति प्राप्त किए; अवकाश पर जाया जा रहा है. उक्त संदर्भ में निम्न आदेश दिया जाता है.

  1. आकस्मिक अवकाश में जाने के 3 दिन पूर्व आकस्मिक अवकाश स्वीकृत कराकर स्वीकृति आदेश निर्गत के उपरांत ही अवकाश में रहेंगे.
  2. आपातकाल होने पर ही घर से या फोन पर अवकाश का आवेदन समर्पित करेंगे. अतः उपरोक्त वर्णित आदेश का अक्षरश: अनुपालन करना सुनिश्चित करेंगे. अनुपालन नहीं किए जाने की स्थिति में यथोचित कार्रवाई करने हेतु अधोहस्ताक्षरी की बाध्यता होगी.

भागलपुर शिक्षा विभाग ने भी कुछ इसी तरह का आशय का आदेश पत्र निर्गत किया है. इसकी प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई है. इसमें लिखा गया है कि- शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा दिए गए निरीक्षण प्रतिवेदन ओं की समीक्षा में पाया गया है कि कई निरीक्षण प्रतिवेदन ओं में विद्यालय में कम शिक्षक रहने के बावजूद एक से अधिक शिक्षकों को एक साथ अवकाश प्रदान कर दिया जाता है. इससे विद्यालय में एक ही शिक्षक को एक साथ एक से अधिक कक्षा के बच्चों को पढ़ाना पड़ता है जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता एवं पठन-पाठन प्रभावित होती है. विद्यार्थियों की पढ़ाई के हित में यह निर्देश दिया जाता है कि सामान्य स्थिति में 10% से अधिक शिक्षकों को अवकाश एक साथ स्वीकृत ना किया जाए. 5 या कम शिक्षकों वाले विद्यालयों में शिक्षकों को अवकाश की स्वीकृति प्रधानाध्यापक द्वारा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के अनुमोदन के बाद ही दिया जाए. शिक्षक अवकाश आवेदन उपस्थिति पंजी में रखकर या किसी अन्य माध्यम से विद्यालय भेजकर अवकाश में चले जाते हैं. अवकाश आवेदन पर ही प्रधानाध्यापक द्वारा स्वीकृत लिखकर स्वीकृति प्रदान की जाती है. निर्देश दिया जाता है कि सामान्य स्थिति में अवकाश हेतु आवेदन अवकाश तिथि से न्यूनतम 3 दिन पहले दिया जाए तथा प्रधानाध्यापक द्वारा अवकाश की तिथि से कम से कम 2 दिन पूर्व अवकाश स्वीकृत हेतु विधिवत पत्र निर्गत किया जाए.

इस आदेश के विरोध के लिए शिक्षक भी अनोखा तरीका अपना रहे हैं. जैसे, एक डमी आवेदन में एक शिक्षक ने लिखा- महाशय, सादर निवेदन है कि दिनांक 5-12 2022, दिन सोमवार से रात 8:00 बजे के लगभग मेरी मां मर जाएगी. इसलिए मैं उसके अंतिम संस्कार हेतु 6-12-2022 से 7-12 -2022 तक अपने विद्यालय से अनुपस्थित रहूंगा. अतः श्रीमान से अनुरोध है कि मेरे अवकाश को स्वीकृत करने की कृपा करें.

एक अन्य शिक्षक ने अपने डमी आवेदन में लिखा, महाशय, सविनय निवेदन है कि दिनांक 4-12-2022 से 5 -12- 2022 तक मैं बीमार रहूंगा. इसकी वजह से मैं विद्यालय नहीं आ पाऊंगा. अतः श्रीमान से आग्रह है कि 2 दिनों तक आकस्मिक अवकाश को स्वीकृत करने की कृपा करें.

बहरहाल शिक्षकों के विरोध के बाद शिक्षा विभाग में हलचल है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर अब शिक्षा विभाग अपने जारी किए आदेश पर कायम रहता है या फिर शिक्षकों के विरोध को देखते हुए इसपर यू टर्न ले लेगा?

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