श्रद्धा वालकर हत्याकांड मामले की जांच CBI को सौंपी जाए, पुलिस कस्टडी में हो सकती है सबूतों के साथ छेड़छाड़? HC में दायर की गयी याचिका

दिल्ली। दिल्ली पुलिस श्रद्धा वालकर हत्याकांड में अपनी जांच लगातार कर रही हैं। पुलिस ने कोर्ट से अपराधी का नार्को टेस्ट करवाने की भी इजाजत ले ली हैं। 22 नवंबर को  अरोपी अफताब का नार्को टेस्ट किया जाएगा। श्रद्धा वालकर की हत्या को आफताब ने बहुत ही बारीकी से अंजाम दिया हैं। उसने श्रद्धा वालकर के शरीर के 35 टुकड़े किए और उन्हें महरौली के जंगल में अलग-अलग जगहों पर फैंका हैं। हत्या मई में की गयी थी लेकिन आरोपी का पता नवंबर में चला। ऐसे में अरोपी के खिलाफ सबूत इकठ्ठा नहीं हो पाये हैं। पुलिस को शक है कि अफताब पुलिस को पूरा सच नहीं बता रहा हैं। वह पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहा हैं। उसके कई चीजों के जवाब काफी अजीब हैं। ऐसे में सबूतों के अभाव के कारण आफताब दोषी होने के बाद भी छूट सकता हैं। इस लिए श्रद्धा वालकर हत्याकांड को सीबीआई को सौंपने की मांग की जा रही हैं। 

 श्रद्धा वालकर हत्याकांड की जांच करें सीबीआई

दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में श्रद्धा वालकर हत्याकांड की जांच दिल्ली पुलिस से केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि वारदात से जुड़े स्थानों पर मीडिया और जनता की मौजूदगी सबूतों से छेड़छाड़ के बराबर है।’’ याचिका को बुधवार के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है। इसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच से जुड़ी हर एक जानकारी मीडिया और जनता के समक्ष रख दी है, जिसकी कानून अनुमति नहीं देता। याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली पुलिस ने वारदात से जुड़े स्थलों को अभी तक ‘सील’ नहीं किया है, जहां लगातार लोग और मीडिया कर्मी जा रहे हैं। गौरतलब है कि श्रद्धा वालकर की उसके लिव-इन-पार्टनर ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी और फिर उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए थे।

सबूत ढूंढने को दिल्ली-मुंबई समेत 5 राज्यों में छापे, आज हो सकता है आफताब का नार्को टेस्ट

सबूतों के आभाव से बच सकता हैं हत्यारा आफताब? 

इसके बाद वह कई दिनों तक शहर के विभिन्न इलाकों में आधी रात को ये टुकड़े फेंकने जाता था। जोशीनी तुली की ओर से दायर याचिका में कहा गया, ‘‘हत्या की इस वारदात को कथित तौर पर दिल्ली में अंजाम दिया गया और फिर शव के टुकड़े विभिन्न स्थानों पर फेंके गए। इसलिए करीब छह महीने पहले मई 2022 में हुई इस घटना की जांच प्रशासनिक/कर्मचारियों की कमी के साथ-साथ साक्ष्यों और गवाहों का पता लगाने के लिए पर्याप्त तकनीकी व वैज्ञानिक उपकरणों की कमी के कारण महरौली थाने द्वारा कुशलतापूर्वक नहीं की जा सकती। ’’

संवेदनशील सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है?

अधिवक्ता जोगिंदर तुली की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया कि मामले से जुड़ी संवेदनशील जानकारी दिल्ली पुलिस ने मीडिया के जरिए सार्वजनिक कर दी है, जिससे संवेदनशील सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। याचिका में आरोप लगाया गया, ‘‘वारदात से जुड़े स्थलों, अदालती सुनवाई आदि स्थानों पर मीडिया व अन्य लोगों की मौजूदगी, वर्तमान मामले में सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ के बराबर है।’’ निचली अदालत ने 17 नवंबर को आरोपी से पूछताछ के लिए पुलिस को उसकी पांच दिन की हिरासत सौंप दी थी, जबकि एक अन्य न्यायाधीश ने नार्को विश्लेषण परीक्षण कराने की अनुमति दे दी थी।

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