पकड़े जाने पर आफताब बोला- ‘सॉरी अंकल मुझसे गलती हो गई, मैंने आपकी बेटी को …’

मुंबई : सोशल मीडिया की एक्टिविटी, बैंक ट्रांजेक्शन और मोबाइल लोकेशन के आधार पर दिल्ली में जब आफताब को हिरासत में लिया गया तो भी उसने पुलिस को फिर से गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन तगड़े सबूतों और पुलिस की सख्ती के चलते उसने श्रद्धा की हत्या करने की बात कबूल ली. इस दौरान उसने श्रद्धा के पिता की तरफ देखते हुए कहा कि Sorry Uncle मुझसे गलती हो गई. मैंने आपकी बेटी को मार दिया है. वसई पुलिस की मानें तो श्रद्धा के खाते में हुए ट्रांजेक्शन ही आफताब के खिलाफ मजबूत सुराग साबित हुआ. श्रद्धा की मई में हत्या के बाद उसके फोन से उसके दोस्तों से जून-जुलाई तक श्रद्धा बनकर बात करना आफताब के गले की फांस बन गया.

पुलिस ने जब श्रद्धा के बैंक खातों की जांच की तो पता चला कि श्रद्धा के खाते से 54 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है. इसमें से आफताब ने 18 हजार रुपये अपने खाते में ट्रांसफर किए थे. इन पैसों का इस्तेमाल आफताब ने श्रद्धा की बॉडी के टुकड़े करने के लिए आरी खरीदने और 250 परफ्यूम की बोतलें खरीदने में किया. इसके अलावा आफताब ने फ्रीज खरीदने और ऋषिकेश टूर के लिए भी श्रद्धा के खाते में मौजूद पैसे का इस्तेमाल डेबिट कार्ड स्वैप करके किया था. आफताब के खिलाफ दूसरा अहम सबूत मोबाइल लोकेशन बना. जब वसई पुलिस ने आफताब से 3 नवंबर को पूछताछ की थी तो उसने बताया था कि 22 मई को श्रद्धा अपना फोन लेकर घर छोड़कर चली गई है. लेकिन जब पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रेस करनी शुरू की तो फोन की लोकेशन उसी छतरपुर इलाके में दिख रही था,जहां आफताब रहता था. इसके बाद 8 नवंबर को पुलिस आफताब के छतरपुर वाले घर गई थी, लेकिन वहां ताला बंद था.

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वसई पुलिस के मुताबिक मार्च 2022 में मुम्बई छोड़ने के बाद आफताब और श्रद्धा हरिद्वार गए. वहां से फिर ऋषिकेश और फिर वहां से हिमांचल प्रदेश गए. जहां उनकी मुलाकात बद्री से हुई. करीब एक महीने बाद बद्री के साथ ही दोनों छतरपुर आ गए और 10 दिनों तक उसके ही घर मे रहे. 16 मई को उन्होंने बगल में ही एक घर किराए पर ले लिया. 18 मई की रात को ही दोनों के बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ था. जिसके बाद आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी. मुम्बई छोड़ने के बाद भी दोनो के बीच लगातार झगड़े होते रहते थे. वसई पुलिस के मुताबिक 3 नवंबर को जब आफताब को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, तब उसने गुमराह करते हुए कहा था कि वह भी श्रद्धा को खोजने में उनकी मदद करेगा.

लेकिन श्रद्धा के घर छोड़कर जाने की वो जो कहानी बता रहा था, उस पर पुलिस को कभी यकीन हुआ ही नहीं. वसई पुलिस के मुताबिक श्रद्धा की बॉडी के टुकड़ों को ठिकाने लगाने से पहले वह उसके कटे चेहरे के हिस्से को गौर से देखता था और उसके बाद ही बॉडी पार्ट्स को ठिकाने लगाने के लिए निकलता था. 19 मई को श्रद्धा की हत्या करने के बाद से ही वह लगातार थोड़ा-थोड़ा बॉडी के हिस्से को ठिकाने लगाने की शुरुआत कर चुका था. वसई पुलिस के मुताबिक 18 मई को दोनों के बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ. उसके बाद आफताब ने श्रद्धा को चुप कराने के लिए उसका मुंह दबा दिया. जब श्रद्धा छटपटाने लगी तो आफताब ने उसका गला दबा दिया.

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