निर्माणाधीन अयोध्या राम मंदिर में उपयोग किये जा रहे पत्थरो पर हो रही बारकोडिंग, जाने इसकी ख़ास वजह

अयोध्या : अयोध्या में भगवान राम लला का भव्य मंदिर बन रहा है. मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन से हो रहा है. मंदिर निर्माण के लिए जितने भी पत्थरों की आवश्यकता है वह राम जन्मभूमि परिसर में एकत्रित किए जा रहे हैं. भूतल का काम लगभग 20% पूरा हो चुका है इसके अलावा संपूर्ण मंदिर की अगर बात की जाए तो 50% से ज्यादा काम संपूर्ण मंदिर का पूरा हुआ है. मंदिर निर्माण में किस पत्थर की कहां आवश्यकता है और उन पत्थरों की चिन्हित करने के लिए पत्थरों पर बारकोड दिया गया है जिससे स्कैन करके निर्माण कार्य में लगे इंजीनियर उस पत्थर को मंदिर में लगाए जाने वाले स्थल के पत्थर को पहचान सकते हैं.

दरअसल संपूर्ण मंदिर बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन से बन रहा है. इसके अलावा मंदिर में बलुआ पत्थर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. मंदिर के तीन तल के निर्माण में बंसी पहाड़पुर के राजस्थान की खदानों से लाए गए पिंक स्टोन का इस्तेमाल होगा. अयोध्या में राम जन्म भूमि की कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों के अलावा राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पत्थर तरासी की 2 कार्यशाला राजस्थान में भी लगा रखी है, जहां से मानक के अनुरूप पत्थरों की तरासी के साथ अयोध्या लाया गया हैं. करीब-करीब 90% से ज्यादा पत्थरो की आपूर्ति राम जन्मभूमि परिसर में हो चुकी है. इन पत्थरों को उनकी आवश्यकता अनुसार लगाए जाने के लिए एक सीक्वेंस में रखा गया था लेकिन कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों को इसमें समस्या हो रही थी.

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इसलिए पत्थरो पर बार कोड लगा दिया गया है. बारकोड लगाए जाने के साथ ही अब कार्यदाई संस्था के इंजीनियर उस पत्थर पर स्कैन करके यह जान सकेंगे कि मंदिर में उक्त पत्थर का इस्तेमाल कहां पर होना और किस जगह लगना है जिससे की मंदिर की सतह और पत्थरों को उठाने और लगाने में कोई असुविधा ना हो. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पत्थरों पर बारकोड इसलिए लगाया गया है ताकि पत्थरों के भंडारण में बारकोड से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि पत्थर का उपयोग कहां पर होना है. पत्थर को उठाने और लगाने में कोई चूक ना हो इसलिए बारकोड का प्रयोग किया जा रहा है. चंपत राय ने कहा कि एक सीक्वेंस में पत्थरों को लगाया जा रहा है उसी सीक्वेंस का पत्थरों के भंडारण स्थल से निकाला जा सके इसके लिए पत्थरों पर बारकोड चिपकाया गया है.

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