भागवत की टिप्पणी पर बोले पवार- ‘जाति व्यवस्था के लिए माफी काफी नहीं, व्यवहार में दिखना चाहिए’
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कल नागपुर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा था कि वर्ण और जातिव्यवस्था एक पुरानी सोच थी अब इसे भूल जाना चाहिए. पहले जो गलतियां हो चुकी हैं, उन पर ब्राह्मणों को प्रायश्चित कर लेना चाहिए. पूर्वजों की गलतियों को मान लेने में कोई हर्ज नहीं है. सभी के पूर्वजों से गलतियां हुई हैं. शास्त्रों में ब्राह्मण कर्म से हुआ करते थे, जन्म से नहीं. बाद में ब्राह्मणों को जन्म से माना जाने लगा और शास्त्रों ने भी बाद में इस बुराई को स्वीकार कर लिया. उनके इस बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
शरद पवार नागपुर दौरे पर हैं. यहां एयरपोर्ट जब उनसे पत्रकारों ने जाति व्यवस्था को लेकर आरएसएस प्रमुख के बयान के बारे में पूछा तो शरद पवार ने कहा, ‘अच्छी बात है कि मोहन भागवत ने यह माना कि जिन बातों से समाज में भेदभाव पैदा होता है, असमानता पैदा होती है, उन्हें हमें त्याग देना चाहिए. समाज के एक बड़े वर्ग का काफी वक्त तक शोषण किया जाता रहा है. इस बात का एहसास होना अच्छी बात है. लेकिन सिर्फ माफी मांग लेने से काम नहीं चलेगा. यह बात व्यवहार में भी दिखाई देनी चाहिए.’ शिवसेना किसकी, इस मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख ने कहा, मामला चुनाव आयोग के पास लंबित है, सुनवाई जारी है. चुनाव आयोग फैसला करेगा, इस विषय पर मैं कोई टीप्पणी नहीं करूंगा.
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एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी मोहन भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जैसे ही चुनाव आता है, अलग-अलग जातियों को पुचकारने की भाषा शुरू हो जाती है. एक्शन में ऐसी बातें दिखाई नहीं देतीं. कथनी और करनी में जब भेद नहीं दिखेगा तभी लोगों को ऐसी बातें करने वालों पर भरोसा होगा. इधर मोहन भागवत के बयान पर पुणे की ब्राह्मण सभा ने आपत्ति जताई है. ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष आनंद दवे ने कहा कि ब्राह्मणों को माफी मांगने की सलाह बिना शास्त्रों का सही ज्ञान हासिल किए सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए दिया गया है.
आनंद दवे ने कहा, ‘जब ब्राह्मण समाज का एक बहुत छोटा वर्ग गलती कर रहा था तो ब्राह्मण समाज का ही बड़ा वर्ग उनकी गलतियों को सुधारने की बात भी कर रहा था. एक छोटे से समूह की गलती के लिए पूरा ब्राह्मण समाज माफी क्यों मांगे?’ आनंद दवे ने अपना स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा, ‘माफी तो मोहन भागवत को मांगनी चाहिए, जो हिंदुत्व का सपना दिखाकर मोलवियों और इमामों से मिलकर रहे हैं, उन्हें पुचकार रहे हैं. अखंड भारत का सपना दिखाकर यहां के हिंदुओं को एक बार फिर धर्मांध मुसलमानों के हवाले करने का प्रबंध कर रहे हैं.’