Shardiya Navratri 2022: इस विधि-विधान से करे मां कात्यायनी की पूजा

6th Day Of Navratri: आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप यानि मां कात्यायनी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं. वे सिंह पर सवार होने वाली देवी हैं, जो चतुर्भुज हैं. वे अपनी दो भुजाओं में कमल और तलवार धारण करती हैं. एक
भुजा वर मुद्रा और दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रहती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि मां कात्यायनी कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रकट हुई थीं, इस वजह से इनका नाम कात्यायनी पड़ा. यह अपनें भक्तों को अभय प्रदान करती हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति ही अत्याचार का अंत करने के लिए हुआ था. ऋषि-मुनियों को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए मां दुर्गा ने अपना कात्यायनी स्वरूप धारण किया था. आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, प्रिय फूल, भोग और आरती के बारे में.

मां कात्यायनी पूजा मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

मां देवी कात्यायन्यै नमः

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मां कात्यायनी का प्रिय फूल और रंग
इस देवी को लाल रंग अतिप्रिय है. इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल रंग के गुलाब का फूल अर्पित करें. इससे मां कात्यायनी आप पर प्रसन्न होंगी. उनकी कृपा आप पर रहेगी.

मां कात्यायनी का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद बहुत ही ​प्रिय है, इसलिए आज पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं. ऐसा करने से स्वयं के व्यक्तित्व में निखार आता है

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
1. यदि आप कोई जटिल कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं और उसमें सफलता चाहिए तो आपको मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए.

2. मां कात्यायनी की पूजा करने से यश की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को संसार में उसके कर्मों के कारण ख्याति मिलती है.

3. शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करते हैं. यह स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं.

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मां कात्यायनी की पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद व्रत और मां कात्यायनी की पूजा का संकल्प लेते हैं. उसके बाद मां कात्यायनी को स्मरण करके उनका गंगाजल से अभिषेक करें. फिर उनको वस्त्र, लाल गुलाब का फूल या लाल फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करें. इस दौरान उनके मंत्रों का जाप करें. फिर उनको शहद का भोग लगाएं. इसके पश्चात दुर्गा चालीसा, मां कात्यायनी की कथा आदि का पाठ करें. फिर घी के दीपक से मां कात्यायनी की आरती करें.

मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा। जय जय अम्बे…

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी। जय जय अम्बे…

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की। जय जय अम्बे…

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो। जय जय अम्बे…

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे। जय जय अम्बे…

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