कुंडौरा में पहुंची सरकारी मदद बाकी जगहों में सन्नाटा, लेखपालों पर लगे सर्वे में भेदभाव के आरोप

भरुआ सुमेरपुर। बाढ़ एवं मूसलाधार बारिश से प्रभावित लोगों के गुरुवार को हंगामा काटने के बाद शुक्रवार को प्रशासन ने राशन विक्रेता के सहयोग से कुंडौरा में खाना वितरित कराया। जबकि अन्य प्रभावित गांवों के साथ कस्बे में किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं पहुंचाई गई। गांव में पहुंचे राजस्व कर्मी सर्वे के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। इससे ग्रामीण परेशान हैं।

गत बुधवार को 12 घंटे की मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया था। मूसलाधार बारिश से कस्बे का वार्ड संख्या दो,तीन,पांच व 18 पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। सैकड़ों मकानों में कई फीट पानी घुस गया था। कस्बे के अलावा सर्वाधिक तबाही बंधा टूटने से कुंडौरा में हुई थी। रैस्क्यू ऑपरेशन चलाकर आधा सैकड़ा से ज्यादा लोगों को प्रशासन ने बचाया था। कुंडौरा

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 में 300 से अधिक मकानों में अचानक पानी भर जाने से घर गृहस्थी लेकर खाने-पीने का सामान नष्ट हो गया था। गुरुवार को किसी तरह की मदद न पहुंचने से नाराज लोगों ने नेशनल हाईवे 34 जाम करके जमकर हंगामा काटा था। जिसे बाद में थानाध्यक्ष ने समझा-बुझाकर शांत किया था। इस खबर को प्रमुखता के साथ उजागर किया गया था। गुरुवार को देर शाम भूख प्यास से बेहाल ग्रामीणों को गांव के प्रधान सविता यादव व पूर्व प्रधान अवधेश यादव ने खाना वितरित कराया था। शुक्रवार को सुबह जिला पूर्ति अधिकारी गांव पहुंचे और राशन विक्रेता पुष्पा देवी से मिलकर खाना तैयार कराकर बाढ़ प्रभावित परिवारों के मध्य वितरित कराया। इससे ग्रामीणों का आक्रोश कुछ कम हुआ है। उधर कस्बे के बाढ़ प्रभावित परिवारों को अभी तक प्रशासनिक मदद नहीं पहुंची है। राजस्व टीम नुकसान के सर्वे में जुटी हुई है। यहां के लोगों का आरोप है कि राजस्व टीम सहायता के लिए उन लोगों को ही सूचीबद्ध कर रही है। जिनके कच्चे मकान जमींदोज हुए हैं।

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पानी भरने से होने वाले नुकसान से लोगों को वंचित किया जा रहा है। ऐसा ही हाल गांवों का है। बिरखेरा में बंधा का पानी घुसने से सबसे ज्यादा मकान जमींदोज हुए हैं। यहां के प्रधान अशोक यादव ने बताया कि सरकारी अमला नुकसान देखने गांव तक जरूर पहुंचा है। लेकिन मदद के नाम पर अभी तक कुछ नहीं भेजा है। गांव के लेखपाल ने 50 मकानों को शत-प्रतिशत तथा 100 मकानों को 50 से 60 फीसदी नुकसान में शामिल करके सूची तैयार की है। अन्य गांवों से भी राजस्व कर्मी सर्वे के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। विदोखर पुरई के निवासी डॉ मान सिंह ने बताया कि उनका मकान  ढह गया है। वह पंचायत भवन जाकर लेखपाल से मिले लेकिन लेखपाल ने सर्वे नहीं किया। सहुरापुर के प्रधान प्रतिनिधि लल्ला सिंह ने लेखपाल पर सर्वे न करने का आरोप लगाया है। वही टेढ़ा के प्रधान नोखेलाल यादव का आरोप है कि लेखपाल पूर्व प्रधान के साथ मिलकर अपात्रों की सूची बनाने में जुटा है। पात्रों को दुत्कार कर भगा दिया जा रहा है।

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