केदारनाथ धाम के ‘सौंदर्यीकरण’ का क्यों हो रहा विरोध? जाने पूरा सच

दिल्ली : केदारनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है. मंदिर के गर्भ गृह में चांदी के स्थान पर सोने की परत चढ़ाने की तैयारी है. बताया जा रहा है कि केदारनाथ धाम के तीर्थ-पुरोहित इस कदम का विरोध कर रहे हैं. इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया. अब इस मसले पर श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बताया कि वह स्थानीय लोगों के संपर्क में हैं और मंदिर के सौंदर्यीकरण का कोई विरोध नहीं कर रहा है.
मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा, ‘केदारनाथ मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करना एक सामान्य प्रक्रिया है. हमलोग स्थानीय निवासियों के संपर्क में हैं. अब इस कदम (जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण) का कोई भी विरोध नहीं कर रहा है. मंदिर के सौंदर्यीकरण का कार्य रात में किया जा रहा है, ताकि तीर्थयात्रियों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े.’ इससे पहले केदारनाथ के पुरोहितों द्वारा रात के समय पहरा देने की बात सामने आई थी. उनका कहना था कि रात के समय मंदिर के गर्भ गृह में सोने की परत चढ़ाई जा सकती है, जिसे वह नहीं होने देंगे. इसके बाद अब मंदिर समिति के अध्यक्ष का बयान सामने आया है.
क्या कहते हैं स्थानीय तीर्थ-पुरोहित?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के एक दानदाता ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ-गृह में सोने की परत चढ़ाने की इच्छा जताई है. बताया जाता है कि मंदिर के अंदरुनी हिस्से में 200 किलो से ज्यादा की चांदी की परत पहले से ही चढ़ी हुई है. अब यहां सोने की परत चढ़ाने का ट्रायल चल रहा है. केदारनाथ धाम के पुरोहित इस कदम के विरोध में उतर आए हैं. पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ मंदिर मोक्ष का धाम है. श्रद्धालु यहां मोक्ष प्राप्त करने आते हैं न कि सोना और चांदी देखने.
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मंदिर से छेड्छाड़ नहीं- मंदिर समिति
स्थानीय पुरोहितों को केदारनाथ मंदिर के साथ छेड़छाड़ की आशंका सता रही है. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पुरोहितों के इस संदेह को दूर करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि मंदिर के गर्भ-गृह से किसी भी तरह का छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल मंदिर में पहले से लगी चांदी की परत को ही हटाकर सोने की परत लगाई जाएगी. जब यह मंदिर स्वर्ण जड़ित हो जाएगा तो इसकी भव्यता और बढ़ेगी.