महाभारत युद्ध का पूरा हाल सुनाने वाले संजय कौन थे? कैसे हुई थी उनकी मौत

Mahabharat: द्वापर युग में कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था. उस दौरान वहां जो कुछ भी हुआ, उसे एक इंसान ने पूरा देखा. वो नाम है- संजय. संजय हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र की राजसभा में सम्मानित सदस्य थे और उन्‍हें धृतराष्ट्र सारथी माना गया. उन्‍होंने महर्षि व्यास से शिक्षा प्राप्‍त की थी. उनके पिता का नाम गावल्यगण था, वह सूत पुत्र थे. संजय विनम्र व धार्मिक स्वभाव के थे और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध थे. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं संजय के बारे में.

संजय को मिली दिव्य दृष्टि 

जब कौरव-पांडवों में महायुद्ध की घोषणा हो गई थी तो महर्षि वेदव्यास राजा धृतराष्ट्र की सभा में आए थे. धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे, मगर वे युद्ध का पूरा हाल जानना चाहते थे. उस समय महर्षि वेदव्यास ने संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की, जिससे उन्होंने कुरुक्षेत्र में हुई एक-एक पल की घटना को देखा और राजा धृतराष्ट्र को सुनाते गए. उन्‍होंने युद्ध प्रारंभ होने से लेकर कौरव-पांडवों की सेनाओं का भयानक विनाश होने तक संपूर्ण घटनाक्रम सुनाया.

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देखा भगवान श्रीकृष्ण का विराटरूप
संजय अर्जुन के अलावा एकमात्र ऐसे व्‍यक्ति थे, जिन्‍होंने कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण का विराटरूप अपनी आंखों से देखा. ग्रंथों में यह वर्णन है कि उस दिन गीता का उपदेश श्रीहरि के मुख से पूरे संसार में सिर्फ दो लोगों ने सुना, एक- अर्जुन, जिन्‍हें श्रीकृष्ण खुद प्रवचन सुना रहे थे, दूसरे- संजय, जो दिव्य दृष्टि से दोनों का संवाद सुन रहे थे.

संजय यह जान गए कि श्रीकृष्ण ही भगवान हैं और जिस ओर वे हों, विजय उन्‍हीं की होगी, इसलिए संजय ने युद्ध से पहले ही पांडवों की विजय की घोषणा कर दी थी.

‘यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।’

महाभारत युद्ध के पश्चात् संजय ने राजा युधिष्ठर का राज्‍याभिषेक देखा. कुछ वर्ष बाद वह धृतराष्ट्र, गान्धारी और कुन्ती के साथ सन्‍यास लेकर जंगल में चले गए. वहां एक दिन आग लग गई, जिसमें उनके साथ धृतराष्ट्र समेत राजमाताओं की भी जान चली गई.

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