अफ्रीकी चीतों की रक्षा करेंगे चंबल के ‘मुखिया जी’ पढ़े डिटेल में
दिल्लीः अफ्रीका से 8 चीते विशेष कार्गो विमान से एमपी के कूनो पालपुर अभयारण्य लाए जा रहे हैं. इंडिया में ये जयपुर एयरपोर्ट पर उतारे जाएंगे. वहां से श्योपुर पहुंचाए जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल मध्य प्रदेश सहित देश को चीतों की सौगात दे जा रहे हैं. वो अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों को कूनो पालपुर में देश को सौंपेंगे. लेकिन उससे पहले इस पूरे इलाके के लोगों में चीतों की सुरक्षा के लिए चीता मित्र बनने की होड़ लगी हुई है. लेकिन एक चीता मित्र का नाम सुनकर आप भी चंबल में कभी फैली दहशत और आतंक के दिनों को याद करने लगेंगे. ये हैं पूर्व दस्यु सरदार रमेश सिंह सिकरवार का. सरकार ने उन्हें चीता मित्र बनाया है. वो अब भी बंदूक उठाए जंगलों में घूम रहे हैं. लेकिन इस बार उनकी बंदूर चीतों की हिफाजत के लिए उठी है.
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श्योपुर जिले के कराहल तहसील के लहरोनी गांव में रहने वाले रमेश सिंह सिकरवार ने साल 1984 में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने सरेंडर किया था और लगभग 10 साल जेल में भी रहे. अब वो हाथ में बंदूक और राइफल रखकर चंबल घाटी में चीता मित्र बनकर घूम रहे हैं. प्रशासन ने 72 साल के रमेश सिंह सिकरवार को चीता मित्र बनाया है. उन्होंने चीतों का शिकार नहीं होने देने का संकल्प लिया है.
इस पूरे इलाके में 70 के दशक में रमेश सिंह सिकरवार जिन्हें अब सब लोग ‘मुखिया जी’ कहते हैं, कीदहशत हुआ करती थी. रमेश सिंह सिकरवार श्योपुर जिले के कराहल तहसील के लहरोनी गांव में रहते हैं. रमेश सिंह सिकरवार के गैंग में 32 सदस्य थे. गैंग पर हत्या सहित कई मुक़दमे चल रहे हैं.
रमेश सिंह सिकरवार ने साल 1984 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने सरेंडर किया था. उसके बाद लगभग 10 साल वो जेल में भी रहे. साल 2000 में बरी होने के बाद से वह गांव के लोगों और आसपास के क्षेत्र में समाज सेवा कर रहे हैं. आज भी वह बंदूक और राइफल अपने साथ रखते हैं लेकिन अब ये बंदूक शांति के लिएउठी है. इलाके में लोग उनका सम्मान बहुत करते हैं.