बड़ी कंपनियों ने MSME पर जमाया कब्जा,छोटे उद्यमियों का मार्केट शेयर 3% घटा
दिल्लीः देश के एक चौथाई से अधिक माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (MSME) ने कोविड की वजह से कोविड पूर्व, यानी वित्त वर्ष 2020 की तुलना में बीते वित्त वर्ष अपना 3% से अधिक मार्केट शेयर गंवा दिया। कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी, सप्लाई चेन की दिक्कत की वजह से इनमें से आधे उद्यमों को अपने कर-पूर्व मुनाफे में भी गिरावट का सामना करना पड़ा।
दूसरी ओर, बड़ी साधन सम्पन्न कंपनियों को उनकी वैश्विक उपस्थिति के चलते ऐसी कठिनाइयों का कम सामना करना पड़ा और उन्होंने इन MSME की बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा जमा लिया। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की लेटेस्ट MSME रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, बढ़ी हुई लागत का बोझ 60% से भी कम आगे बढ़ा पाने की वजह से पेस्टिसाइड और एडिबल ऑयल कंपनियों के मार्जिन में क्रमशः 100 और 200 आधार अंकों की कमी आई।
वहीं लगभग 40% SME का मार्केट शेयर उनकी अनिवार्य प्रकृति की वजह से घटा। इनमें फार्मास्युटिकल और एग्रीकल्चरल मिलर्स शामिल हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी डिमांड बढ़ने से स्टील पिग आयरन जैसे चंद SME का मार्केट शेयर बढ़ा है। काफी कम मार्जिन पर बिजनेस करने वाले ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स, जेम्स एंड ज्वैलरी जैसे सेक्टर पर इनपुट लागत का बोझ बढ़ गया है। मालभाड़े में बढ़ोतरी के बावजूद छोटे फ्लीट वाले ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स का मार्जिन 50 bps तक कम हुआ है।
कच्चे माल की महंगाई, सप्लाई की दिक्कत, बहुत कम मार्जिन जैसे कारणों से सर्वे में शामिल एक चौथाई से अधिक MSME की बाजार हिस्सेदारी बीते वित्त वर्ष में 3 फीसदी से ज्यादा घटी है। हमने सर्वे में 64 सेक्टर्स और 147 क्लस्टर्स को को शामिल किया है जिनका सकल राजस्व 47 लाख करोड़ है और जो GDP में 20-25% हिस्सेदारी रखते हैं।-पुषन शर्मा, डायरेक्टर, क्रिसिल रिसर्च