मंगल गृह से पत्थरों और मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाने की तैयारी में है चीन
दिल्लीः चीन (China) अमेरिका (USA) से चल रही अंतरिक्ष होड़ में आगे निलकने की तैयारी में है. पिछले कुछ दशकों में उसकी अंतरिक्ष गतिविधियां तो यही इशारा कर रही हैं. वह अमेरिका के नासा की तरह मंगल पर अपना रोवर पहुंचा चुका है. उसका एक खुद का इंटरनेशनल स्टेशन है. इसके अलावा वह कई ऐसे काम कर चुका है जिसमे वह दुनिया का पहला या एकमात्र देश है. चंद्रमा के पिछले हिस्से में यान उतारना, 50 साल बाद चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लाना, मंगल (Mars) पर एक ही अभियान में प्रोब, रोवर और लैंडर भेजना इसमें शामिल है. लेकिन अब चीन नासा और ईसा से दो साल पहले ही मंगल से पत्थरों और मिट्टी के नमूने लाने की तैयारी कर रहा है.
चीन अकेला करेगा ऐसा
ऐसा करने से वह अमेरिका के नासा से आगे निकल सकता है. क्योंकि जो काम नासा और ईसा मिलकर साल 2033 में करने जा रहे हैं वह चीन खुद अकेले ही ऐसा कर लेगा. चीन के तियानवेन-1 के मंगल ऑर्बिटर और रोवर अभियान के प्रमुख डिजाइनर सुन जेझोऊ ने हाल ही नान्जिंग यूनिवर्सिटी में आयोजित एक सेमिनार में इस अभियान के संकेत दिए.
जेझोऊ ने बताया कि चीन दो प्रक्षेपण अभियानों की योजना बना रहा है जिसे 2028 में शुरू किया जाएगा और फिर मंगल से पत्थरों और मिट्टी के नमूनों को 2031 तक पृथ्वी तक वापस भी लाया जाएगा. इस बहुल प्रक्षेपण अभियान की संरचन नासा और ईसा के संयुक्त अभियान की तुलना में सरल डिजाइन हो सकती है जिसमें मंगल पर एक ही बार लैंडिंग होगी और अलग अलग जगहों पर रोवर की सैम्पलिंग नहीं होगी.
तियानवेन-3 नाम के इस अभियान में एक लैंडर और एसेंट व्हीकल होने के साथ ऑर्बिटर और रिटर्न मॉड्यूल भी होंगे. दोनों संयोजनों को अलग अलग लॉन्ग मार्च और लॉन्म मार्च 5 बी के जरिए क्रमशः प्रक्षेपित किया जाएगा. इस अभियान के प्रवेश, अवरोहण और अवतरण तियानवेन -1 मिशन के अनुसार होगी, मिट्टी के नमूनों को जमा करने का काम 200 में चांग-ई 5 के जरिए जैसे चंद्रमा से नमूने लाए गए थे उसी के अनुसार होगी.
2028 में मंगल के उड़ान भरने के बाद इस अभियान में लैंडिंग साल 2029 के अंत में होगी. रिपोर्ट के मुताबिक एसेंट व्हीकल के दो चरण होंगे और इसे ठोस या तरल ईंधन के जरिए 4.5 किलोमीटर प्रति सेंकेंड की गति से प्रक्षेपित किया जाएगा. यह पहले से मंगल का चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से जुड़ेगा और उसके बाद अंतरिक्ष यान मंगल के ले अक्टूबर 2030 में रवाना होगा.