नवा रायपुर के किसानों का पंडाल प्रशासन तोड़ा, आंदोलनकारी NRDA के दफ्तर में बैठे
छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में किसानों का आंदोलन 165 दिनों से जारी है। जिला प्रशासन ने किसानों के पंडाल को दूसरी बार उखाड़ दिया है, जिससे उनका आक्रोश भड़क गया है। किसानों का कहना है कि प्रदेश सरकार तानाशाही पर उतर आई है, लेकिन हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी उनका आंदोलन जारी रहेगा। पंडाल तोड़ने से आक्रोशित किसान एनआरडीएफ दफ्तर में बैठ गए हैं। जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने हरिद्वार से वीडियो संदेश भी जारी किया है। उन्होंने कहा कि किसानों को परेशान न करें। समस्या का समाधान बातचीत करके निकालें। तब तक मांगें पूरी नहीं होगी किसान हटेंगे नहीं। उन्होंने किसानों से कहा है कि अगर वे फिर पंडाल तोड़ेंगे तो उनके बिल्डिंगों के सामने धरना शुरू करें।
बता दें कि नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के बैनर तले 27 गांवों के किसान 8 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 165 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। मांगों को पूरा करने मंत्रिमंडलीय उप समिति व सीएस की अध्यक्षता में कई दौर के वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। प्रदेश सरकार 8 में से 6 मांगों को पूरा करने की बात कहती है, लेकिन किसान इसे छलावा बताते हुए अब भी आंदोलन पर डटे हुए हैं। किसान दो बार मंत्रालय घेरने निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक लिया। 11 मार्च को एक किसान सियाराम पटेल की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत किसानों के आंदोलन में 27 व 28 अप्रैल को शामिल हुए थे। इससे पहले 24 अप्रैल को किसानों के पंडाल को जिला प्रशासन ने एनआरडीए परिसर से हटा दिया और सामानों को जब्त कर लिया था। इसके बाद किसानों ने कयाबांधा के आम बगीचा को अपना नया ठिकाना बनाया था। यहां आंदोलन के लिए अस्थाई झोपड़ी बनाई गई थी, जिसे भी जिला प्रशासन ने तोड़ दिया है, जिससे किसान भड़क गए हैं।