नरेंद्र मोदी का मिशन भर्ती, 10 लाख नौकरियों की घोषणा पर विपक्ष ने क्या कहा
दिल्लीः मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने की घोषणा की. इस घोषणा के बाद से विपक्षी दल उनपर सवाल कर रहे हैं .
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसे झांसा कहा है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा- जैसे 8 साल पहले युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियों का झांसा दिया था, वैसे ही अब 10 लाख सरकारी नौकरियों की बारी है. ये जुमलों की नहीं, ‘महा जुमलों’ की सरकार है. प्रधानमंत्री जी नौकरियाँ बनाने में नहीं, नौकरियों पर ‘News’ बनाने में एक्सपर्ट हैं.
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने इस घोषणा को चुनावी छलावा बताया है. इसके साथ ही उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के इससे कई गुणा सरकारी पद सालों से ख़ाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उन्हें लेकर चुप है.
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस घोषणा पर सवाल उठाते हुए इसे हड़बड़ी का फैसला बताया है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास 55 लाख पद ख़ाली पड़े हुए हैं फिर 10 लाख नौकरियों की बात क्यों हो रही है. जब 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो कहा था कि वे साल की दो करोड़ नौकरियां देंगे. इस हिसाब से आठ साल में उन्हें 16 करोड़ नौकरियां देनी थी जिसे वे भूल गए हैं.
असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले के पीछे 2024 के आम चुनावों को असली वजह बताया है.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी प्रधानमंत्री को हर साल दो करोड़ नौकरी देने के वादे को लेकर निशाना साधा है और पूछा है कि ये जुमलेबाजी कब तक चलेगी.
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि सरकार ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था जिसके हिसाब से 16 करोड़ नौकरियां बनती हैं लेकिन अब सिर्फ 10 लाख नौकरियों की बात कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय से ट्वीट कर बताया गया है, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधन की समीक्षा की और अगले डेढ़ साल में मिशन के तहत 10 लाख लोगों को नियुक्त करने का आदेश दिया.”