अनिल देशमुख एवं मंत्री नवाब मलिक की जमानत याचिकाएं ख़ारिज, राज्यसभा में नहीं कर सकेंगे मताधिकार का प्रयोग

दिल्लीः मुंबई की एक विशेष अदालत ने 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के वास्ते एक दिन की राहत मांग रहे महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख एवं मंत्री नवाब मलिक की जमानत अर्जियों को गुरुवार को खारिज कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देशमुख और मलिक की अर्जियों का यह कहते हुए विरोध किया था कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कैदियों का कोई मताधिकार नहीं होता है।

बता दें कि राकांपा के दोनों वरिष्ठ नेता देशमुख और मलिक धनशोधन के अलग-अलग मामलों में फिलहाल जेल में बंद हैं। दोनों ने अस्थायी जमानत की मांग करते हुए पिछले सप्ताह विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े के सामने आवेदन दिए थे। बुधवार को सभी पक्षों ने इस जमानत अर्जी के पक्ष एवं विपक्ष में अपनी दलीलें पूरी कीं जिसके बाद कोर्ट ने गुरुवार के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि जमानत आवेदन खारिज कर दिए जाने के लायक है। देशमुख को ईडी ने नवंबर, 2021 में गिरफ्तार किया था। उनके आवेदन में कहा गया है, ‘‘मौजूदा विधायक होने के नाते आवेदक (देशमुख) राज्यसभा के सदस्य के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का सदस्य है। आवेदक अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने एवं अपना वोट डालने को इच्छुक है।’’

ईडी ने विशेष अदालत से कहा था कि देशमुख उनके विरूद्ध दर्ज धनशोधन मामले में मुख्य आरोपी हैं और नवंबर में गिरफ्तार किये जाने के बाद वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उसने कहा, ‘‘ इसके अलावा, यह दीगर है कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कैदियों को मतदान करने का अधिकार नहीं होता है।’’

ईडी के अनुसार देशमुख ने राज्य के गृहमंत्री के तौर पर अपने पद का दुरूपयोग किया तथा कुछ पुलिस अधिकारियों के मार्फत शहर में विभिन्न बारों से 4.70 करोड़ रूपये वसूले। मलिक को ईडी ने इस साल 23 फरवरी को भगोड़े गैंगस्टर दाउद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़ी गतिविधियों से संबद्ध धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था।

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