पाकिस्तान में बलोचियों ने 9 महीने में 15 चीनी मारे
दिल्ली: पाकिस्तान की कराची यूनिवर्सिटी में मंगलवार को महिला फिदायीन के हमले में 3 चीनी महिला प्रोफेसर्स मारी गईं। इसके बाद चीन ने सख्त रुख अपनाया। नए नवेले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आधी रात को दौड़े-दौड़े चीन की इस्लामाबाद में मौजूद एम्बेसी पहुंचे और हाथ बांधकर किसी मुजरिम की तरह बातें सुनते रहे।
हमले की जिम्मेदारी उसी बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली, जो पहले भी इस तरह के हमलों को अंजाम दे चुकी है और इनमें 15 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। एक तरफ, चीन और पाकिस्तानी फौज है तो दूसरी तरफ BLA है। बलूचियों की मांगों का समर्थन कई देश कर चुके हैं, लेकिन उसके तौर-तरीकों पर सवालिया निशान हैं। आइए इस विवाद को समझने की कोशिश करते हैं। बलूचिस्तान के नागरिक 1947-1948 से ही खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद किसी तरह वो पाकिस्तान के नक्शे पर मौजूद रहे। उन्हें दोयम दर्जे नागरिक माना जाता रहा। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा की तरह उन्हें कभी अपने जायज हक भी नहीं मिले। वक्त गुजरता रहा और इसके साथ ही गुस्सा भी बढ़ता गया।
1975 में तब के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो एक रैली के लिए क्वेटा पहुंचे। यहां एक हैंड ग्रेनेड फटने से मजीद लांगो नाम के युवक की मौत हो गई। दावा किया गया कि यह भुट्टो को मारने आया था। वास्तव में BLA की नींव यहीं से पड़ी। मजीद के छोटे भाई का नाम भी मजीद ही था। वो 2011 में पाकिस्तानी फौज के हाथों मारा गया। इसके बाद BLA का एक अलग दस्ता तैयार हुआ और इसका नाम मजीद ब्रिगेड पड़ा।