हरिद्वार में संघ का 2024 चुनाव पर चिंतन गांव-गांव तक शाखा, पिछड़ों को साथ लाने पर फोकस
दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पांच दिवसीय बैठक हरिद्वार में जारी है। हाल ही में भाजपा की चार राज्यों में चुनावी जीत के बाद हो रही इस बैठक को लेकर काफी उत्सुकता है। संघ की यह बैठक दो जगह हो रही है। दक्षिण भारत में अलग मीटिंग हो रही है, उत्तर भारत की बैठक हरिद्वार में चल रही है। इसमें पांच बिंदुओं पर प्रमुख रूप से मंथन और आगे का एजेंडा सेट किया जा रहा है। इनमें 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ 2025 में RSS के स्वर्ण शताब्दी वर्ष का एजेंडा प्रमुख है।
संघ की बैठक में चार राज्यों यूपी, राजस्थान, हिमाचल और बंगाल के संगठन महामंत्री को लेकर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक यूपी के भाजपा संगठन महामंत्री साल 2014 से ये जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 9 साल के बाद अब उनको बदलने की चर्चा है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी से मिले होने का आरोप संगठन महामंत्री पर लगा। इसकी शिकायत भाजपा और आरएसएस के पदाधिकारियों तक पहुंची है।
हिमाचल में अगले साल चुनाव होने हैं। इसलिए हो सकता है कि हिमाचल के प्रदेश संगठन महामंत्री पवन राणा से कार्यभार वापस न लिया जाए। हालांकि राजस्थान के संगठन महामंत्री का कार्यक्षेत्र बदला जा सकता है। बता दें कि मध्यप्रदेश में बीते महीने ही संगठन महामंत्री को बदल गया था। आरएसएस के सूत्र बताते हैं कि हरिद्वार की बैठक में संघ इन कार्यों की समीक्षा के आधार पर कभी भी फैसला ले सकता है।
बिहार, झारखंड, गुजरात और मध्यप्रदेश के भाजपा संगठन महामंत्री के कार्यक्षेत्र में पिछले साल बदलाव किया था। अगस्त 2021 में भाजपा ने बिहार पंचायत चुनाव से ठीक पहले PM नरेंद्र मोदी के करीबी भीखुभाई दलसानिया को बिहार बीजेपी का संगठन महामंत्री बनाया था। इससे पहले नागेंद्र नाथ इस पद पर थे। गुजरात में भाजपा संगठन को मजबूत करने वाले दलसानिया 15 साल से गुजरात में थे।
चुनावी राज्य गुजरात में भाजपा ने रत्नाकर को नया संगठन महामंत्री नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह बिहार में सह संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बीते 17 मार्च को ही हितानंद शर्मा को मध्य प्रदेश भाजपा का नया संगठन महामंत्री बनाया गया। वह सुहास भगत की जगह लाए गए। सुहास भगत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वापस बुला लिया गया है। उन्हें मध्य क्षेत्र का बौद्धिक प्रभारी बनाया गया है।
संघ अपने प्रमुख एजेंडे पर फोकस करते हुए गौ सेवा, धर्म जागरण मंच पर भी आगे की रणनीति तय करेगा। सबसे बड़ी चर्चा यह है कि संघ की तरफ से प्रत्येक राज्य में बीजेपी के संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी निभाने वाले प्रचारकों के क्षेत्र में परिवर्तन को लेकर इस बैठक में मंथन होगा। हालांकि इस बारे में कोई फैसला होगा कि नहीं, यह जानकारी 11 अप्रैल को सामने आएगी।
यूपी चुनाव से पहले राज्य में लव जिहाद और धर्म परिवर्तन के मामले फोकस में थे। ऐसे ही मामलों को रोकने के लिए आरएसएस धर्म जागरण के एजेंडे को एक बार फिर धार देने में जुट गया है। इसके लिए रास्ता समरसता का होगा। पिछड़ी और मलिन बस्तियों पर फोकस बढ़ाने की तैयारी है, जिससे धर्मांतरण रोका जा सके और साथ ही घर वापसी की जमीन तैयार की जा सके।
हालांकि हरिद्वार की पिछली बैठक में संघ ने इस पर आक्रामक रुख अपनाया था और लगातार इन आयोजनों का बचाव किया था। संघ प्रमुख से लेकर दूसरे पदाधिकारियों और संघ साहित्य के जरिए घर वापसी को सही ठहराया जा रहा है। हाल में ही नागपुर में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में धर्म जागरण के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी थी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एक सदस्य और वरिष्ठ प्रचारक कहते हैं कि घर वापसी के कार्यक्रम अब व्यवस्थित ढंग से किए जाएंगे।