मतदान से नहीं बोली से चुना गया सरपंच
अशोकनगर जिले में पंचायत चुनाव का एक अनोखा मामला सामने आया है। एक ग्राम पंचायत में गांव वालों ने मंदिर में बैठकर पंचायत बुलाई और सरपंची के दावेदारों से बोली लगवाई। 21 लाख से बोली शुरू हुई और 44 लाख रुपए पर पहुंची।
सौभाग सिंह ने 44 लाख रुपए में अंतिम बोली लगाई और सभी ने उन्हें सरपंची के लिए चुन लिया है। अब उनके खिलाफ दूसरा कोई खड़ा नहीं होगा। प्रदेश में सालभर के इंतजार के बाद पंचायत चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई है लेकिन अशोक नगर के भटोली पंचायत में निर्विरोध सरपंच का चुनाव कराने के लिए पंचायत बुलाकर दावेदारों को एकसाथ बैठाकर बोली लगाई गई।
अशोक नगर जिले में इस चौंकाने वाला यह मामला सुर्खिया बना रहा है। हालांकि इस प्रकार से सरपंच के चुनाव को अधिकारी नियम के विरुद्ध बताते हुए जांच करवाने की बात कह रहे हैं।अशोक नगर जिले की चंदेरी जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम भटौली में निर्वाचन होने के पहले ही सरपंच तय कर लिया गया है।
जहां सरपंच बनने के लिए महज 44 लाख रुपए की बोली लगाई गई।बता दें कि ग्राम भटौली में मंदिर पर एक बैठक बुलाई गई। जिसमें 4 प्रतिभागियों ने सरपंच पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत की थी।सरपंच पद के लिए 21 लाख रुपए से शुरू होकर 44 लाख तक पहुंची।
सरपंच का यह अजीबो-गरीब चुनाव राधा-कृष्ण मंदिर परिसर में हुई। यहां ग्रामीणों की मौजूदगी में बैठक हुई। सरपंच पद के चुनाव के लिए दो चीजें जरूरी थी। एक गांव का विकास और दूसरा मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना। इसी शर्त पर चार लोगों के बीच बोली लगना शुरू हुई।
आखिरी में सौभाग सिंह यादव ने 44 लाख रुपए की बोली लगाई, जिससे आगे कोई जा नहीं पाया। ऐसे में सौभाग सिंह को निर्विरोध सरपंच मान लिया गया। बैठक में तय हुआ कि अब यादव के खिलाफ कोई चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा।
भटौली पंचायत के लिए सरपंच पद की बोली लगाने वाले सौभाग सिंह यादव का कहना है कि गांव में शांति बनी रहे। व्यर्थ पैसा बर्बाद नहीं हो, मेरे द्वारा दिया गया पैसा मंदिर के कार्य में लगेगा जो धार्मिक कार्य है। किसी भी प्रकार के शराब व अन्य कार्यों में पैसा जाने से बचेगा, सभी के सहयोग से प्रत्याशी चुना गया है।
गांव वालों की यही इच्छा थी कि मंदिर के लिए पैसा एकत्र करते हुए सरपंच चुना जाए और उसी आधार पर चुना गया है। जब इस मामले को लेकर अशोकनगर जिले के कलेक्टर आर उमा महेश्वरी बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि इस मामले को दिखा रहे हैं।
वहीं इस मामले को लेकर प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि यह मामला मेरी जानकारी नहीं है इस मामले को में दिखावाता हूं और अगर ऐसा हुआ है तो यह लोकतंत्र की हत्या है।
वही चुनाव एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इसका चुनाव की वैधानिकता से कोई सीधा संबंध नहीं है जो भी चुनाव लड़ेगा उसे फॉर्म भरना ही होगा। सरपंच पद पर एकमात्र फॉर्म आता है और वह वैध पाया जाता है तो वह सरपंच चुन लिया जाएगा। वह कोई भी हो सकता है, चाहे बोली लगाने वाला ही क्यों न हो।