त्तराखंड में कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क में बाघों की सुरक्षा पर बजट का संकट
केंद्र की ओर से बाघों की सुरक्षा और उनके वासस्थलों के विकास के लिए हर साल प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कार्बेट को करीब 15 करोड़ और राजाजी को 10 करोड़ का बजट दिया जाता है।
उत्तराखंड में बाघों की सुरक्षा पर बजट का संकट खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क को 25 करोड़ रुपये का बजट अब तक नहीं मिला है।
इससे गश्त और सुरक्षा उपकरणों की खरीद के साथ लैंटाना हटाने समेत कई काम अटक गए हैं। बाघों की सुरक्षा में लगे कर्मचारी भी अप्रैल से वेतन का इंतजार कर रहे हैं।
केंद्र की ओर से बाघों की सुरक्षा और उनके वासस्थलों के विकास के लिए हर साल प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कार्बेट को करीब 15 करोड़ और राजाजी को 10 करोड़ का बजट दिया जाता है।
इससे इन पार्कों में बाघों की सुरक्षा के लिए विशेष गश्त के लिए कर्मचारी लगाए जाते हैं। उनका वेतन, वर्दी, जूते, टार्च सहित कई सामान भी इसी बजट से दिया जाता है।
इसके अलावा पार्कों में बाघों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनी लैंटाना घास को हटाने और वाटर होल बनाने में भी इसी बजट से पैसा खर्च किया जाता है। साल गुजरने को है, मगर अब तक केंद्र से बजट नहीं मिलने के कारण तमाम काम अटक गए हैं।
वैसे ही, पिछले करीब दो सीजन में कोरोना संकट के चलते पर्यटकों के नहीं आने से पार्कों की कमाई भी नहीं हो पाई। कार्बेट में वर्तमान में करीब 360 और राजाजी में 50 बाघ हैं।