बंदी भाइयों को 95 बहनों ने बांधा प्यार का धागा
बांदा,संवाददाता। कोरोना महामारी के चलते लगभग डेढ़ साल बाद बहनों को रक्षाबंधन में जेल जाकर भाइयों की कलाई में राखी बांधने का मौका मिल सका। पिछले वर्ष कोरोना की दस्तक के साथ ही जेल में बंदियों से मुलाकात पर रोक लगा दी गई थी।
इस बार संक्रमण कमजोर पड़ने पर शासन ने मुलाकात की अनुमति दी तो बहनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जेल पहुंचकर बंदी भाइयों की कलाई राखियों से सजाई और गले लगकर खूब रोईं।
बंदी भाई भी अपने आंसू रोक नहीं पाए। जेल प्रशासन ने रक्षाबंधन पर कई सहूलियतें दी थीं। बहनों को भाइयों से मिलने का 10 मिनट अतिरिक्त समय दिया। मिठाई और राखी भी उपलब्ध कराई।
जेल में निरुद्ध भाइयों से मिलने के लिए 140 महिलाओं ने पर्ची कटवाई, लेकिन मुलाकात सिर्फ 102 की हो सकी। इनमें 95 बहनें व सात भाई थे, जिनकी बहनें जेल में निरुद्ध हैं। इन सभी की तीन शिफ्टों में मुलाकात कराई गई।
जेल प्रशासन ने दावा किया कि मुलाकात के लिए बहनों को आम दिनों की अपेक्षा 10 मिनट अतिरिक्त समय दिया गया। जेल के मुलाकाती लॉन में मुलाकात कराई गई।
बहनों ने भाइयों को राखी बांधकर अपराध छोड़ने का संकल्प लिया। उधर, आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट की शर्त 38 बहनों की मुलाकात में आड़े आ गई।
72 घंटे अंदर की कोरोना की जांच रिपोर्ट न होने पर उन्हें जेल में निरुद्ध बंदी भाइयों से नहीं मिलने दिया गया। वह जेल गेट पर बिलखती और कर्मियों से मिन्नत करती रहीं, लेकिन जेल प्रशासन ने उनकी मिन्नतों को दरकिनार कर दिया।
जेल प्रशासन के सख्त रवैए से नाराज बहनों ने राखियों को लिफाफे में बंद कर भाई का नाम लिखकर जेल गेट के अंदर फेंक दिया और कोसती हुई बैरंग लौट गईं।
बाद में कर्मचारियों ने इन्हें समेट कर जेल के अंदर संबंधित बंदियों तक पहुंचाया। डिप्टी जेलर ने बताया कि जो भी राखी के लिफाफे आए हैं उन्हें पहुंचा दिया जाएगा।
उधर, रक्षाबंधन पर भाई को राखी बांधने के लिए फतेहपुर से आई जोहरा को आरटीपीसीआर रिपोर्ट न होने पर मुलाकात के लिए रेाक दिया गया। वह जेल गेट में धरने पर बैठ गई।
भनक लगते ही अधिकारियों के आदेश पर जोहरा को जेल प्रशासन ने बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के मुलाकात करवाई। जोहरा ने बताया कि उसका भाई कल्लू जेल में प्रतिदिन दर्जनों कर्मचारियों व बंदियों की दाढ़ी व कटिंग करता है। एक पैसा उसको नहीं मिलता है।