केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी समुद्र मंथन को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘गहरे समुद्र मिशन’ को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इससे समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी। सरकार ने आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए डीएपी पर सबसिडी भी 700 रुपये प्रति बोरी बढ़ा दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि गहरे समुद्र के तले एक अलग ही दुनिया है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्र है। उसके बारे में अभी बहुत अध्ययन नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि सीसीईए ने ‘गहरे समुद्र संबंधी मिशन’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे एक तरफ ब्लू इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी साथ ही समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी।
जावड़ेकर ने बताया कि समुद्र में 6000 मीटर नीचे कई प्रकार के खनिज हैं। इन खनिजों के बारे में अध्ययन नहीं हुआ है। इस मिशन के तहत खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इसके अलावा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि गहरे समुद्र संबंधी मिशन के तहत जैव विविधता के बारे में भी अध्ययन किा जाएगा।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इसके तहत समुद्रीय जीव विज्ञान के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन (एडवांस मरीन स्टेशन) की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा थर्मल एनर्जी का अध्ययन किया जाएगा।
जावड़ेकर ने बताया कि इस बारे में अभी दुनिया के पांच देशों अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, चीन के पास ही प्रौद्योगिकी है। ऐसी प्रौद्योगिकी मुक्त रूप से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस मिशन से खुद प्रौद्योगिकी के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
उधर, केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख लाल मंडाविया ने बताया कि केंद्र सरकार ने डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) उर्वरक पर प्रति बैग 700 रुपये सबसिडी बढ़ा दी है। इससे सरकारी खजाने पर 14,775 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।