अब पर्सनल गारंटर की परिसंपत्तियां बेचकर कर सकेंगे कर्ज की वसूली
नई दिल्ली। दिवालिया कानून की प्रक्रिया से बचने की जुगत कर रहे कुछ कारपोरेट घरानों के नामी-गिरामी प्रवर्तकों को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है।
इंसाल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (IBC) से जुड़े एक मामले में शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए दिवालिया प्रक्रिया में शामिल कंपनियों को कर्ज दिलाने में पर्सनल गारंटी देने वाले प्रवर्तकों से भी वसूली की छूट बैंकों को दे दी।
बैंक अब कारपोरेट गारंटी देने वाले लोगों की परिसंपत्तियों को बेचकर कर्ज की वसूली कर सकेंगे। इस बारे में केंद्र सरकार ने नवंबर, 2019 में अधिसूचना जारी की थी, जिसके खिलाफ कई बड़े उद्योगपतियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इनमें अनिल अंबानी, कपिल वधावन, संजय सिंघल, वेणुगोपाल धूत जैसे लोग शामिल हैं। इन सभी की तरफ से प्रमोटेड कंपनियों के खिलाफ आइबीसी के तहत कार्रवाई हो रही है।
दिवालिया कानून के जानकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आइबीसी लागू करने के संदर्भ में एक बड़ी जीत के तौर पर देख रहे हैं। देश में कोरोना की वजह से जब बैंकिग सेक्टर में फंसे कर्जों के मामले और बढ़ने के आसार हैं, तब यह फैसला ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।
दिवालिया प्रक्रिया के कई मामलों में दिवालिया होने वाली कंपनी के प्रवर्तकों ने बैंक लोन के लिए अपनी पर्सनल गारंटी दी है। अब इन सभी से वसूली की प्रक्रिया बैंक शुरू कर सकते हैं।
वसूली नहीं होने की स्थिति में उन्हें व्यक्तिगत रूप से दिवालिया घोषित किया जाएगा। अदालत ने गारंटर पर भी कंपनी की तरह ही नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया प्रक्रिया चलाने की अनुमति दी है।