गोरखपुर में आयुष्मान योजना के नाम पर हो रहा फ्रॉड
लखनऊ : आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में गोल्डन कार्ड बनवाने में गड़बड़ी के इक्का-दुक्का मामले सामने आ रहे हैं। बीते तीन साल में कुल 112 मामले सामने आए। जिले में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और मुख्यमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत तीन लाख छह हजार 698 परिवार चयनित हुए हैं। इन परिवारों में 14 लाख से अधिक लोगों के कार्ड बनने हैं।
यह परिवार जब कार्ड बनवाने या इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पहुंच रहे हैं तब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों की शिकायत की पड़ताल के लिए सीएमओ कार्यालय में एक टीम गठित की गई है। यह टीम मरीज के दावे और आयुष्मान लाभार्थियों की सूची के साथ मिलान करती है। सभी सरकारी प्रपत्र की जांच करती है। इसके बाद ही कार्रवाई होती है। आयुष्मान कार्ड की जांच करने वाली टीम के एक सदस्य ने बताया कि गांव में बने कॉमन सर्विस सेंटर आयुष्मान गोल्डन कार्ड बना रहे हैं। इन सेंटर वालों को कार्ड बनाने से पहले वेरिफिकेशन कराना होता है। आवेदक की केवाईसी करनी होती है। साथ ही प्रपत्रों की जांच करनी होती है। यह नहीं हो रहा है। इसमें लापरवाही हो रही है। इस वजह से कुछ गड़बड़ियां सामने आई हैं।
आयुष्मान योजना के इंतजाम फुल प्रूफ हैं। फिर भी इक्का-दुक्का मामले सामने आते हैं। उन्हें फौरन निस्तारित करने के लिए टीम बनी है। यह टीम 24 घंटे से कम समय में मामले निस्तारित कर देती है। जिससे मरीज या उनके परिजनों को कोई समस्या न हो, सबको समय से इलाज मिले। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद इलाज के नाम पर क्षेत्र के एक निजी अस्पताल संचालकों द्वारा पांच लाख रुपये वसूले जाने के मामले में सदर सांसद रवि किशन ने डीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा है। बीते दिनों आयुष्मान कार्डधारक काली प्रसाद सैनी एक हादसे में घायल हो गए थे जिसके बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आरोप है कि उनके पास आयुष्मान कार्ड था। कार्ड दिखाने के बाद भी अस्पताल संचालक ने पांच लाख रुपये वसलू लिए।