बजट में सधे कदमों से लंबी छलांग की सोच, अर्थव्यवस्था के लिए है एक दिशा दिखाने वाला रोडमैप
मध्यम वर्ग को आय कर में राहत और कंपनियों को लाभांश वितरण कर से पूरी तरह छूट और भविष्य में भरोसेमंद व पारदर्शी कर व्यवस्था का पक्का वायदा। युवाओं की उम्मीदों को पंख लगाने के लिए न्यू इकोनोमी का फार्मूला तो किसानों की आय दोगुनी करने के लिए खेती किसानी के नए तरीके को बढ़ावा। ढांचागत क्षेत्र के लिए आवंटन में खासा इजाफा और बैंकों में पैसा रखने वाले आवाम को ज्यादा बीमा का सुरक्षा कवच। ये सारी घोषणाएं आम बजट 2019-20 की है।
इसमें मंदी से कराहती अर्थव्यवस्था को उबारने को देखते हुए बड़े बड़े सुधारों का डोज भले नहीं है लेकिन यह अगले एक दशक के दौरान देश की इकोनोमी को एक दिशा दिखाने वाला रोडमैप जरूर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह दूसरा आम बजट है और इस बार उन्होंने बाजार व उद्योग जगत की अपेक्षाओं के मुकाबले अर्थव्यवस्था के मूल तत्वों को मजबूत बनाने और लंबी अवधि के लिए इकोनोमी को तेज रफ्तार देने पर ज्यादा ध्यान दिया।
पंद्रह लाख रुपये की सालाना आय वाले वर्ग के लिए आय कर की दर में 10 फीसद तक की छूट देने की घोषणा की है। लेकिन इसके साथ शर्त यह रखी गई है कि करदाता स्टैेडर्ड डिडक्शन का लाभ ले रहे कर दाता को यह छूट नहीं मिलेगी। यानी ना तो 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा और ना ही बच्चों की शिक्षा व अन्य निवेश पर 1.50 लाख रुपये तक की छूट मिलेगी। बाद में वित्त मंत्री ने इसे आय कर छूटों को पूरी तरह से खत्म करने और सरलीकरण की दिशा में पहला कदम बताया है।
सितंबर, 2019 में कारपोरेट सेक्टर को टैक्स में भारी राहत देने के बाद बजट में भी उन्हें निराश नहीं किया गया। 15 फीसद का लाभांश वितरण टैक्स को समाप्त कर दिया गया। यह बड़ी राहत है। हालांकि इसके बावजूद शेयर बाजार ने 988 अंको का गोता लगा कर यह दिखा दिया कि उसे उम्मीद बहुत ज्यादा थी। वित्त मंत्री को भरोसा है कि सोमवार को जब बाजार खुलेगा तो तब वह उनके उपायों को ज्यादा बेहतर समझने की स्थिति में होगा।
देश में रोजगार की स्थिति सुधारने में छोटे व मझोले औद्योगिक इकाइयों की जरुरत को देखते हुए उनका बजट में खास ख्याल रखा गया है। साथ ही घरेलू स्तर पर फर्नीचर, फुटवियर, स्टेशनरी, खिलौने के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इन पर सीमा शुल्क की दर बढ़ा दी गई है। इसका सीधा असर चीन से होने वाले सस्ते आयात पर पडे़गा जबकि इस उद्योग से जुड़े घरेलू छोटे उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री ने बताया है कि भारत को मोबाइल फोन व चिप निर्माण का नया हब बनाने के लिए नई नीति आएगी। जबकि डाटा कंप्यूटिंग, आर्टिफिसिएल इंटेलीजेंस, द्रोन, डीएनए डाटा, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे न्यू इकोनोमी के सेक्टरों में भारत का दमखम दिखाने का रोडमैप भी है। क्वांटम तकनीकी के लिए 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान एक बड़ा ऐलान है।
हाल के महीनों में देश के बैंकों के प्रति आम जनता के डगमगा रहे भरोसे को मजबूत करने के लिए बैंकों में जमा राशि की बीमा कवरेज को एक लाख रुपये से बढ़ा कर 5 लाख करने का ऐलान किया गया है। सहकारी बैंकों को मजबूत करने की घोषणा की गई है और सरकारी बैंकों के प्रदर्शन को सुधारने की नई कवायद करने का ऐलान किया गया है। किसानों की आय दोगुनी करना सरकार की अहम नीति है।
इस लक्ष्य के लिए वित्त मंत्री ने कृषि व ग्रामीण सेक्टर के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है जो अभी तक का सर्वाधिक है। किसानों के लिए अगले वित्त वर्ष बैंकों से 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने का ऐलान भी उन्होंने किया है लेकिन यह देखना होगा जिन किसानों को कर्ज की ज्यादा जरुरत है उन्हें खास तौर पर लाभान्वित करने के लिए कदम उठाये जाते हैं या नहीं।
चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर के घट कर 5 फीसद पर सीमित होने की स्थिति से दो चार सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 10 फीसद का नोमिनल विकास दर का आकलन किया है। वैसे एक दिन पहले जीडीपी वृद्धि दर के 6-6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 3.8 फीसद रहेगा जो पिछले बजट में तय दर से 0.5 फीसद ज्यादा है। अगले वित्त वर्ष के लिए यह 3.5 फीसद रखा गया है। अगले वर्ष के लिए सरकार ने 5.45 लाख करोड़ रुपये का उधारी लेने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री ने बताया कि जीडीपी के मुकाबले देश पर कुल कर्जे का अनुपात मार्च 2019 में 52.2 फीसद था जो अब घट कर 48.7 फीसद रह गया है।
बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री को भले ही कई बार पानी पीना पड़ा हो लेकिन उन्होंने एक साथ कई परंपराओं को तोड़ने का माद्दा भी दिखाया। पूरे बजट को उन्होंने तीन महत्वपूर्ण विषयों के आस पास ही समेट कर रखा। ये विषय हैं महत्वाकांक्षी भारत यानी समाज के सभी वर्ग को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार के अवसर देना।
दूसरा, सबके के लिए आर्थिक विकास सुनिश्चित करना, जिसमें ‘सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास’ का नारा समाहित है। तीसरा, समाज का संरक्षण करना जो सरकार के मानवीय चेहरे को नए नजरिए से पेश करने की कोशिश है। बजट में आंकड़ों का कम से कम इस्तेमाल किया। कोई ऐसे प्रावधान नहीं किये गये जो किसी उद्योग या किसी सेक्टर के हितों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहा हो।
वैसे भी पिछले कुछ महीनों के अनुभव बताते हैं कि सरकार बड़ी घोषणाओं के लिए बजट का इंतजार नहीं करती। बाद में वित्त मंत्री ने कहा भी कि पिछले महीने में सरकार ने बजट का प्रतीक्षा किये बगैर बड़ी घोषणाएं कर चुकी है। आगे भी ऐसा हो सकता है। अभी जरुरत मूल तत्वों को मजबूत बनाने का था और यही काम किया गया है।