नवजात शिशुओं को मसाज देते समय ध्यान रखें ये बातें, बनी रहेगी सेहत

नवजात शिशुओं के लिए मसाज बहुत अहम होती है और इसी वजह से बच्चों की मॉलिश की परंपरा काफी पुरानी है। आज के व्यस्त दौर और महानगरीय जीवन शैली में बच्चों की मसाज कई घरों में नहीं हो पाती। दरअसल, सही तरीके से मसाज की जाए तो नवजात स्वस्थ्य रहता है और उसका शरीर मजबूत बनता है। सर्दी के मौसम में मसाज और भी अहम हो जाती है।

डॉ. गगन अग्रवाल के अनुसार, बच्चों की मसाज शुरू करने से पहले कुछ सामान्य बातों की जानकारी जरूरी है। जैसे मसाज कैसे करनी है, कितनी देर करनी है, किस तरह के तेल से करनी है, किस समय मसाज करनी है। इन आधारभूत बातों की जानकारी होगी तो मसाज का पूरा फायदा बच्चे को मिलेगा, अन्यथा उसे नुकसान भी हो सकता है। मसाज से जुड़ी एक और बड़ी सावधानी है बच्चे की साफ-सफाई की। बच्चों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है। ऐसे में साफ-सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए।

मसाज से जुड़ी अहम बातें-
मॉलिश से बच्चे को स्पर्श मिलता है, जिससे उसके विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मालिश करने से मां और बच्चे में मजबूत रिश्ता बनता है। बच्चे की हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। तनाव कम होता है। मसाज से खुशी का अहसास कराने वाले ऑक्सीटोसीन हार्मोन जारी होते हैं। मालिश से बच्चे का तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है। बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। उसे अच्छी नींद आती है। डाउन सिन्ड्रॉम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों से पीड़ित बच्चों के लिए मसाज सबसे अच्छा इलाज है।

डॉ. गगन अग्रवाल के अनुसार, नवजात शिशु की मालिश करने का सबसे सही समय वो है जब वह पूरी तरह आराम कर चुका हो। वह जितना शांत और खुश होगा, मालिश में उसे उतना ही मजा आएगा। बच्चे के दूध पीने के तत्काल बाद मालिश न करें। करीब 45 मिनट रुकें। इसी तरह मालिश के तत्काल बाद दूध न पिलाएं। कम से कम 15 मिनट का अंतराल रखें। आमतौर पर बच्चे को नहाने से पहले मसाज दी जाती है। मसाज के बाद नहलाने से शरीर पर जमा तेल और मैल निकल जाते हैं और संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।

एक माह की उम्र के बाद शिशु की मालिश की जा सकती है। इससे कम उम्र में मालिश करने का सबसे बड़ा जोखिम यह होता है कि बच्चे की नाभि में तेल जाने से संक्रमण हो सकता है। दिन में कम से कम एक बार मालिश जरूर की जाए, लेकिन यदि इससे बच्चे को किसी तरह की परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
मालिश की शुरुआत पेट से करें। यदि पेट और कान पर तेल लगाते समय बच्चा शांत रहता है तो समझिए वह मालिश के लिए तैयार है। इसके बाद पैरों की मालिश करना चाहिए। फिर हाथ, सीना, कंधे, सिर, चेहरा, पीठ के क्रम में मालिश करें।

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