जानें क्या होती है लूनर डाइट, अमावस्या से जुड़ा है कनेक्शन

एक समय था, जब लोगों की आपसी बातचीत कौन क्या पहन रहा है और कौन किसके साथ डेट कर रहा है जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहती थी। अब इनकी जगह लोग इस पर चर्चा करने लगे हैं कि कौन क्या खा रहा है, सबसे अच्छा आहार विशेषज्ञ कौन है और किसने कितना अधिक वजन घटाया है।

स्वास्थ्य और वजन घटाने की दिशा में लोगों के इस झुकाव ने कई नए किस्म के आहारों को चर्चित बनाया है। लेकिन इस मामले में बड़ा सवाल जो लोगों के मन में होता है, वह यह है कि क्या ये डाइट्स वाकई कारगर हैं या ये सिर्फ लोगों की सनक का नतीजा हैं! स्वास्थ्य क्षेत्र में जिस चीज की इन दिनों सर्वाधिक चर्चा हो रही है वह है मून डाइट या चंद्र आहार। माना जाता है कि डेमी मूर और मेडोना जैसी हस्तियां भी इस आहार का सेवन करती हैं। विशेषज्ञ इस आहार के बारे में कई बातें बताते हैं।

क्या है लूनर डाइट-
लूनर डाइट या मून डाइट चांद के विभिन्न चरणों के अनुसार उपवास करने की प्रक्रिया को दिया गया नाम है। इसको लूनर डाइट या वेयरवुल्फ डाइट के नाम से भी जाना जाता है। इसमें अमावस्या या पूर्णिमा के दिन उपवास रखते हैं और सिर्फ जूस लेते हैं। दावा किया जाता है कि यह आहार पद्धति किसी व्यक्ति की वजन कम करने की क्षमता को बढ़ावा देती है और इसके जरिये महज 26 घंटे में कोई भी अपना वजन छह पाउंड तक कम कर सकता है।

यह आहार इस विचार पर आधारित है कि चंद्रमा हमारे शरीर में मौजूद जल को उसी तरह प्रभावित करता है, जिस तरह वह समुद्र में ज्वार को प्रभावित करता है। इसलिए इस शक्ति का उपयोग वजन कम करने के लिए किया जा सकता है। हम जानते हैं कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पूर्णिमा और अमावस्या के दौरान सबसे शक्तिशाली होता है। इसलिए इस दौरान तरल आहार लेने से वजन कम करने में मदद मिलती है।

लूनर डाइट फॉलो करने का क्या है तरीका-
मून डाइट का पालन करने वालों को अमावस्या या पूर्णिमा के 26 घंटों के दौरान ठोस भोजन नहीं लेना होता। वे पानी और डिटॉक्स टी ले सकते हैं। ग्रीन, गार्डेन सेज, डैंडेलियन आदि (सिंहपर्णी या दुधाल) किस्मों की चाय विशेष तौर पर फायदेमंद रहती हैं। सब्जियों और फलों के रस लेने की भी इजाजत है। अगले 26 घंटों तक आपको केवल फल, सलाद, सूप, कद्दू का मसला हुआ गूदा आदि खाने की छूट होती है। अगर आपने मून डाइट अपनाई है तो पूर्णिमा के दौरान भारी खाद्य पदार्थ, चीनी और वसा का सेवन न करें।

ऐसे करें लूनर डाइट फॉलो ताकि न हो कोई साइड इफेक्ट-
मून डाइट अपनाने पर इनसान को थकान, चिड़चिड़ापन, बेहोशी, चक्कर आने या संवेदनाशून्य होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हाइपोग्लाइकीमिया अर्थात ब्लड शुगर का स्तर कम होने या याददाश्त में गड़बड़ी का खतरा भी रहता है। यहां तक कि लंबे समय तक लगातार मून डाइट का पालन करने से तंत्रिका से जुड़े रोग भी हो सकते हैं। हालांकि पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति अगर एक दिन के लिए मून डाइट अपनाता है तो जरूरी नहीं है कि इस कारण उसे किसी दुष्प्रभाव का सामना करना ही पड़ेगा। वास्तव में यह एक स्थायी आहार नहीं है। इसे दीर्घकालिक परिणामों के लिए नहीं अपनाया जा सकता।

लूनर डाइट कितनी मददगार-
मेडोना और डेमी मूर जैसी हस्तियों ने दावा किया है कि मून डाइट ने उन्हें एक दिन में 6 एलबीएस तक वजन कम करने में मदद की है। इसलिए अगर उनके शब्दों पर भरोसा करें तो यह सच है। हालांकि यह वजन कम करने का कोई आजमाया हुआ तरीका नहीं है। यह आपके शरीर से केवल पानी का वजन कम करने में मदद करेगा। जैसे ही आप मून डाइट छोड़ेंगे वैसे ही शरीर में पानी का वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी। यह आहार स्थायी रूप से वजन कम करने में कारगर नहीं है। ऐसी स्थिति में सवाल उठता है कि पोषण विशेषज्ञ मून डाइट की सिफारिश क्यों कर रहे हैं?

पोषण विशेषज्ञ अवनि कौल कहती हैं,‘एक प्रमुख बात यह है कि मून डाइट का समर्थन करने के लिए फिलहाल कोई प्रामाणिक अध्ययन नहीं है।’ अवनी कौल की राय से सहमति रखते हुए, पोषण विशेषज्ञ शिखा महाजन भी कहती हैं, ‘मून डाइट उन लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है, जो डॉक्टरी देखरेख के बिना इसे अपनाते हैं। इसके बारे में जो दावे किए गए हैं, वे भी पूरी तरह अवास्तविक हैं। अगर किसी ने पानी की कमी के कारण ये परिणाम सचमुच हासिल भी किए हैं तो जैसे ही वह नमक और ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन करेगा, ये परिणाम समाप्त हो जाएंगे।’

लूनर डाइट किसके लिए खतरनाक-

लूनर डाइट उन लोगों के लिए खतरनाक है, जो बिना चिकित्सीय देखरेख के इसे अपनाते हैं। अगर किसी ने पानी की कमी के कारण ये परिणाम सचमुच हासिल भी किए हैं तो जैसे ही वह नमक और ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन करेगा, ये समाप्त हो जाएंगे।

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