इंदौर में पहली बार देह दान करने पर मिला गार्ड ऑफ ऑनर

जवाहर मार्ग निवासी अशोक वर्मा का गुरुवार रात निधन हो गया था। जब वे जीवित थे तो परिजनों से कहा था कि मृत्यु होने पर अंत्येष्टी करने के बजाए उनका देहदान किया जाए। परिजन ने देहदान, नेत्रदान एवं त्वचादान के लिए दधीचि मिशन से संपर्क किया।

इंदौर अंगदान में देश में पहले स्थान पर है। कई लोग देहदान भी इंदौर में करते है। शुक्रवार को पहला मौका था जब 80 वर्षीय अशोक वर्मा की इच्छा अनुसार उनकी देह एक निजी मेडिकल काॅलेज को सौंपी गई। उससे पहले पुलिस जवानों ने पार्थिव देह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अभी तक गार्ड ऑफ ऑनर शहीदों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दिया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश जारी किए है कि जो भी व्यक्ति देह दान करता है। उनकी मृत्यु होने पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।

इस आदेश के बाद इंदौर में पहला देहदान सम्पन्न हुआ।जवाहर मार्ग निवासी अशोक वर्मा का गुरुवार रात निधन हो गया था। जब वे जीवित थे तो परिजनों से कहा था कि मृत्यु होने पर अंत्येष्टी करने के बजाए उनका देहदान किया जाए। परिजन ने देहदान, नेत्रदान एवं त्वचादान के लिए दधीचि मिशन से संपर्क किया लेकिन तकनीकी कारण से नेत्रदान एवं त्वचादान संभव नहीं हो पाया।

शुक्रवार सुबह उनकी अंतिम यात्रा निकली और अरविंदो मेडिकल काॅलेज पहुंची। यहां गार्ड ऑफ ऑनर के लिए पुुलिस जवान पहले से मौजूद थे। शस्त्रों से श्री वर्मा को सलामी दी गई।इसके बाद देह काॅलेज प्रबंधन को सौप दी गई। अंगदान समिति के नंदकिशोर व्यास ने बताया कि श्री वर्मा ने कुछ वर्षों पहले देहदान की स्वीकृति दी थी। उनकी राजवाड़ा पर मेडिकल शाॅप है। वहां भी उन्होंने कई लोगों से देहदान के लिए संकल्प पत्र भरवाए थे। उनके एक बेटे का युवा अवस्था में निधन हो गया था। बेटे का भी उन्होंने देहदान किया था। इसके बाद पुत्रवधू का उन्होंने पुनर्विवाह भी कराया था।

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