‘कांग्रेस में कई प्रतिभाशाली नेता, लेकिन…’, राहुल गांधी का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने बोला हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्ष खासकर कांग्रेस में कई युवा नेता प्रतिभाशाली हैं लेकिन नेतृत्व में असुरक्षा के कारण उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिलता। उन्होंने विपक्ष द्वारा संसद की कार्यवाही में बाधा डालने पर निराशा व्यक्त की। मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि संभव है कि यही युवा नेता नेतृत्व को असुरक्षित महसूस कराते हुए घबराहट में डाल रहे हों।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि विपक्ष में खासकर कांग्रेस में बहुत से युवा नेता बेहद प्रतिभाशाली हैं, लेकिन नेतृत्व में असुरक्षा की भावना की वजह से इन युवाओं को बोलने का मौका नहीं मिलता। वे संसद की चर्चा में भाग नहीं ले पाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, मोदी ने यह टिप्पणी संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कार्यालय में विभिन्न पार्टियों के नेताओं की बुलाई गई पारंपरिक अनौपचारिक चाय पार्टी में की। हालांकि इसमें राजग के नेता ही शामिल हुए और विपक्ष के नेता इससे दूर रहे।
पीएम ने राहुल का नाम नहीं लिया
सूत्रों ने बताया कि मोदी ने नेता विपक्ष राहुल गांधी का नाम नहीं लिया, जोकि आजकल बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ अपनी पार्टी के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन उनकी टिप्पणियां स्पष्ट रूप से राहुल के लिए ही थीं। पीएम ने कहा कि संभव है कि यही युवा नेता नेतृत्व को खुद को असुरक्षित महसूस कराते हुए घबराहट में डाल रहे हों। शायद नेतृत्व इन युवा नेताओं से घबरा गया है।
इस दौरान मोदी ने मानसून सत्र में सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से न चलने पर निराशा जताई। कहा- विपक्ष अड़ंगा डालता रहा। इसके चलते कई विधेयकों को विपक्ष के विरोध के बीच पारित किया गया। उन पर चर्चा ही नहीं हो पाई। बैठक में विपक्ष के नेताओं के अनुपस्थित रहने पर किसी ने टिप्पणी की कि कांग्रेस को साथ लाना कठिन हो गया है क्योंकि कुछ नेता जिनसे सरकार नियमित रूप से बातचीत करती है, पार्टी के निर्णय को प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं।
इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष में कुछ प्रतिभाशाली युवा सांसद हैं, जो नेतृत्व को ‘असुरक्षित’ बना सकते हैं। प्रधानमंत्री ने पहले भी गांधी परिवार की आलोचना करते हुए इसी तरह की राय व्यक्त की है और कहा है कि वे अपने हितों को सर्वोपरि रखते हैं। विपक्ष के नेताओं द्वारा बैठक से दूर रहने के निर्णय पर संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू कहा कि उनके नेता शायद सत्र के दौरान अपने व्यवहार के कारण शर्मिंदा थे।