उत्तराखंड: काॅटेज से हिम दर्शन, देवदार वन में ठहरने का भी ले सकेंगे आनंद

वन विभाग ने लोहाघाट क्षेत्र में इको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत लोहाघाट में पर्यटकों के ठहरने की सुविधा विकसित की जाएगी। इसके अलावा हिम दर्शन के लिए प्रसिद्ध नलिया जगह पर काॅटेज भी बनाए जाएंगे।
चंपावत जिले में लोहाघाट प्राकृतिक सुंदरता के विख्यात है। इसके पास ही बालेश्वर मंदिर, मायावती आश्रम, हिंगला देवी मंदिर और ढाई घंटे की दूरी पर वाराही देवी का मंदिर है। साथ ही कोलीढेक झील भी है। इसी के पास वाणासुर का किला भी है।
देवदार के वृक्षों से भरपूर लोहाघाट क्षेत्र में वन विभाग ने इको टूरिज्म की गतिविधियों को विकसित करने की योजना पर काम शुरू किया है। इसके तहत लोहाघाट में वन अनुसंधान की नर्सरी और भवन था, उसे चंपावत वन प्रभाग को वापस कर दिया गया है। अब उसके भवनों में ठहरने की सुविधा की जाएगी।
छह कॉटेज बनाने की योजना
प्रभागीय वनाधिकारी नवीन पंत कहते हैं कि जो भवन हैं, उनको सुदढ़ीकरण, सौंदर्यीकरण करने के साथ ठहरने से जुड़ी सुविधाओं को जुटाया जाएगा। यहां पर 10 परिवार ठहर सकेंगे। यह जगह शानदार है। इसी तरह लोहाघाट- वाराही देवी मंदिर मार्ग पर नलिया जगह से हिम दर्शन होते हैं।
यह जगह खूबसूरत होने के साथ गर्मियों के दिनों में भी ठंडी रहती है। यहां पर छह कॉटेज बनाने की योजना है। प्रारंभिक तौर पर यहां वन चेतना केंद्र था, इसके जर्जर भवन को बेहतर कर ठहरने की सुविधा को विकसित करने का काम शुरू किया गया है। अन्य जगहों के लिए प्रोजेक्ट बनाकर वन मुख्यालय को भेजा गया है।
लोहाघाट क्षेत्र में इको टूरिज्म के दृष्टिगत योजनाओं पर काम शुरू किया गया है। वन अनुसंधान की नर्सरी वाले स्थान पर पर्यटकों को ठहरने की सुविधाएं जुटायी जाएंगी। कॉटेज के लिए भी स्थान का चयन किया गया है। – प्रसन्न पात्रो, मुख्य वन संरक्षक इको टूरिज्म