पत्नी को पढ़ाई छोड़ने को मजबूर करना मानसिक क्रूरता, मध्य प्रदेश HC ने 10 साल बाद रद्द की शादी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 10 साल पहले हुए एक विवाह को रद्द करते हुए कहा कि एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना उसके सपनों को नष्ट करने के समान है। कोर्ट ने कहा कि महिला पर किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए दबाव डालना जो न तो शिक्षित है और न ही खुद को सुधारने के लिए तैयार है, मानसिक क्रूरता के समान है। याचिकाकर्ता महिला ने शाजापुर के फैमिली कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें पति से तलाक लेने की उसकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।

महिला की पढ़ाई के खिलाफ थे ससुराल वाले

महिला ने हाईकोर्ट में दायर अपील में कहा था कि वर्ष 2015 में उसकी शादी शाजापुर जिले के एक व्यक्ति से हुई थी और तब उसने 12वीं पास की थी। महिला के मुताबिक, वह शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन उसके ससुराल पक्ष के लोग इसके सख्त खिलाफ थे।

महिला अपने विवाह के कुछ ही दिन बाद मायके लौट आई थी और उसने पति से तलाक लेने की अर्जी फैमिली कोर्ट में दायर की थी, लेकिन अदालत ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी और उसे पति के साथ दाम्पत्य संबंधों की बहाली का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह ने मामले के तथ्यों और दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद फैमिली कोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए महिला की अपील 6 मार्च को मंजूर कर ली। इसके साथ ही, महिला के पति के साथ 10 साल पहले हुई उसकी शादी को हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत रद्द कर दिया।

सिर्फ तीन दिन रहे थे साथ

अदालत ने अपने फैसले में इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि विवाह के बाद पिछले 10 वर्ष की अवधि के दौरान महिला और उसका पति जुलाई 2016 में केवल तीन दिनों तक साथ रहे हैं और “पत्नी के लिए यह अनुभव एक बुरा सपना था, जिसके बाद वे कभी एक-दूसरे के साथ नहीं रहे।”

कोर्ट ने कहा, “यह शादी के टूटने का मामला है, क्योंकि अपीलकर्ता और प्रतिवादी जुलाई 2016 से अलग-अलग रह रहे हैं और उनके बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है। इसलिए, प्रिंसिपल जज, फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है।”

डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में अमेरिकी दार्शनिक जॉन डेवी के इस मशहूर कथन का हवाला भी दिया, ‘‘शिक्षा का मतलब सिर्फ जीवन की तैयारी करना नहीं है, बल्कि शिक्षा खुद जीवन है।’’

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